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मुझको पागल कर देंगी
उसकी ये पगलाई आंखें
दिल का ज़र्रा ज़र्रा लेंगी
उसकी ये अलसाई आंखें
दिल का सौदा करती हैं
उसकी ये सौदाई आंखें
जानें कब मिलने आयेंगी
मुझसे ये हरजाई आंखें-
जाने कैसा स्वप्न दिखा है
चौंक उठी घबरायीं आंखें
कुछ तो अशुभ घटेगा निश्चय
फड़क उठी हैं बायीं आंखें
सूख गई खुशियों की सरिता
बेसुध हैं मुरझायीं आंखें
दुःख का सागर छलक गया है
शेष बची पथरायीं आंखें
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जब भी उसके बारें में सोचा
पल भर में भर आयी आंखें
रोज नए दुःख का आगम है
जीवन से उकतायी आंखें
उसने दुनिया रोशन करनी थी
उसने क्यूं बुझायी आंखें
इक चेहरे पर दुःख लिक्खा था
उसमें मेरी समायी आंखें— % &-
देख ले जो तुझको वो ठहर जाए
तेरी आंखों में बस उतर जाए
फूल शबनम बिखेर दूंगा मैं
जहां तलक तेरी नज़र जाए
तेरे होने से ही तो धड़कन है
जान जाए तू अगर जाए
रहगुजर तू, तू ही तो रहबर है
मैं चलूंगा उधर तू जिधर जाए
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