यूं तो परेशानियों से भरी जिंदगी है
लेकिन अब हर पल बोझिल -सा लगता है
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"ऐ जिन्दगी मत दबा हमे इतना किसी के एहसानो के बोझ तले के जीते जी ही मर जाये "।
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जब कभी तुम्हारे,
करीब मैं जाऊं तो...
बहिष्कृत करते हो!!
जो थोड़ी दूरी मैं,
चाहकर बनाऊं तो...
तिरस्कृत करते हो!!
मैं तेरे ख्यालों में,
डूबने कभी लगी तो...
विस्मृत करते हो!!
गिनाकर हमेशा ही,
गलतियाँ मेरी तुम...
बड़े नाज़ों से खुद को
परिष्कृत भी करते हो!!-
पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी नजर रहती है
सर पर कितना बोझ है कोई देखता भी नहीं-
मेरे पिता ने मुझसे इतनी ज्यादा उम्मीदें लगा रखीं थी,
कि ये हमारी गरीबी दूर करेगा। ये खूब पैसा कमाऐगा, ये हमारे दिन बदलेगा। और यहाँ मैं खुद में ही उलझकर रह गया।
मैं खुद का ही बोझ नहीं उठा पाया।-
बहुत दुख भरे पड़े है ज़माने
कुछ अपने कुछ उनके गम पीता हूं
यूं तो परेशानियों से भरी है जिंदगी
पर हर पल जिंदादिली से जीता हूं-
वो रोक सकता था मेरी बर्बादी,
पर उसने मेरा घर जलाकर,
खुद को बचाना मुनासिब समझा।-
बोझ हो जाते हैं जब पत्ते
पेड़ों की शाखें उनको भी गिरा देती हैं
इसलिए बेहतर होगा
अपने थके हुए शरीर और मन को खुद
ही मजबूती से सम्भालें-
बोझिल जिंदगी हैं या हमारी सोच,
बैचेनी मन की हैं या विचारों की,
एक पल सोचे जरा हम !
सुकून के बहाने तो बहुत हैं,
पर हम सुकून को भी सुकून से,
पाने में झिझकते हैं !
मन की गहराइयों को,
हरेक से बताने में डरते हैं !
तन्हाइयों के सहारे,
जीवन बिताने में रहते हैं !
बिन आग के मोम,
पिघलाने में मरते हैं !
जिंदगी को यूं बोझिल,
बनाने में रहते हैं !
बेमतलब बातों को,
घुमाने में रहते हैं !
बेहिसाब ही,
बतियाने में रहते हैं !
बोझिल जिंदगी नहीं,
हमारी सोच हैं ! !
-Mridula Rajpurohit
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मन पर इतना बोझ है, कि मरकर भी मुक्त ना हो पाऊंगा।
There is so much burden on my mind that I won't be able to be free even after death.-