कभी-कभार हमारे घरवालों की तरफ से हमें ये भी ताना दिया जाता है कि फलां लड़के ने प्रेम विवाह करवा लिया और आज उसका इतने साल का बच्चा है। तुमसे तो वोह भी ना हो पाया।
तब और दिल दुखता है और जीने की आस और कम हो जाती है।
मासूम, बेकसूर, बेगुनाह, निरपराध, भोला-भाला, अबोध, सीधा, निर्दोष, निरीह, सरल, होकर सच्चाई के मार्ग पर चलना इस कलयुग के ज़माने में बहुत कठिन है।
इसिलिए मैं अब मानने लगा हूँ कि भगवान नाम की कोई चीज है ही नहीं इस दुनिया में।
मुझे हर वो बात सुनने को मिल रही है जो सीना चीर के निकलती है और मेरी अंतर-आत्मा को आहत कर मेरे दिलो-दिमाग और मन को अंदर तक झकझोर के रख देती है।
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