तेरी यादें...बड़ी बारे गराँ है...
एक दवा चाहिए...इन्हें उठाने के लिए...-
8 JUN 2018 AT 16:21
16 AUG 2020 AT 10:36
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|| स्त्री की सहनशीलता की तुलना ||
|| धरणी से करना अनुचित तो नहीं ||
|| पति के तन की थकान और अपने मन का बोझ ||
|| सहन करती है वो भी मूक रह कर भली-भाँति..!! ||-
10 MAY 2018 AT 17:22
समाज मे इज्जत बनाएं रखने झूठे ढोंग करते देखा है,
कोख़ में मार दिया था जिसने अपनी बेटी को उसे भी बेटी बचाओ करते देखा है।।-
10 DEC 2019 AT 21:15
तुम क्या समझती हो ? मैं समझता नहीं,
बोझ बन चुका हूँ मैं,तुम्हारे ज़िन्दगी की कहानी में..!-
4 JUN 2017 AT 11:20
लो झड़ गया मैं
शाखों पर से तेरी,
अब तो ना कहोगे कि
बोझ उठाता था तू मेरी?
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21 DEC 2017 AT 22:11
पलकें, निगाहें और आवाज़ दबी हैं हया के बोझ तलें,
भौहों की सलवटों अब तो तिसरी आंख बन जाओ मेरी!-