QUOTES ON #बेसहारा

#बेसहारा quotes

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आज दर्द बांट रहा हूं बेसहारा,
चौराहे पर खड़ा होकर !
पहले दर्द महसूस करती वो,
आंखों में आंखें डाल कर !

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16 DEC 2020 AT 19:25

मिरे इश्क़ को इक तमाशा न कर तू
मोहब्बत नहीं ये ख़ुलासा न कर तू

चुराया नहीं कुछ मोहब्बत में मैंने
इकट्ठा अभी फिर ज़माना न कर तू

चला जा बहुत दूर बेशक़ तू मुझसे
मोहब्बत है फिर ये दिखावा न कर तू

नहीं चाहिए अब कोई राज़ दिल में
ख़ुदा के लिए बे-सहारा न कर तू

दिलों की मोहब्बत न 'आरिफ़' ही समझा
समझ ही नहीं है इशारा न कर तू

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22 JUL 2018 AT 0:30

सुनो ना !!
अब बहुत हुआ,
सच बताने का एक इशारा तो दो !!

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12 AUG 2017 AT 9:36

जिन हाथों ने कभी, नन्हे क़दमो को
चलना सिखाया था,
दुनिया की भीड़ में, उंगलिया थामे जिनकी
खुद को भीड़ में भी महफूज़ पाया था,

छोटे छोटे अनगिनत निवाले, जिनके हाथों से खाये,
न जाने कितनी ही ख़्वाइशें, अपने जिनसे मनवाये,
खुद की तक़लीफ़ में, जिन्हें हमेशा रोता पाया,
खुशियों में भी उनके आंसुओ को न थमता देखा,
हर मुश्किलों में जो सहारा बनें,हिम्मत हरपल जिन्होंने दिया,
बड़े प्यार से उन्होंने अपना हर फ़र्ज़ अदा किया,

वो "माँ-बाप" आज बेसहारा क्यों हैं ?
क्यों अपने घर के बजाय, किसी वृद्धाश्रम में हैं,
जब उनके लड़खड़ाते क़दमो को सहारे की जरूरत पड़ी,
कांपते अल्फ़ाज़ों में उनके क्यों प्यार और भरोसे की कमी दिखी ?
-aRCHANA


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26 MAY 2020 AT 15:30

अंधेरे में दीपक जला के तो देखो
किसी के होठो की मुस्कान बन के तो देखो
बड़ा सुकून मिलेगा किसी बेसहारे का दर्द बाट कर
कभी किसी के अरमान बन के तो देखो

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8 SEP 2020 AT 18:11

सारी दुनिया से लड़कर
जिस ने थामा था हाथ हमारा
आज वही हमें बेसहारा कर गए💔

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18 NOV 2017 AT 13:10

खुशी कितनी होती है.
कभी उन बेसहारों को गले से लगाकर तो देखो.
कभी उनके उम्मीद की किरण बनकर तो देखो.
खुदा की इबाद़त करनेवालो इनमे ही खुदा बसते है.
जिन्दगी मे इससे ज्यादा खुशी कभी न होगी.
कभी उनके चौखट पर जाकर तो देखो.

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30 MAY 2020 AT 8:54


हमने भी खुद को बेसहारा कर लिया,
दुनियाभर के लोगो से किनारा कर लिया,
अब दुनियादारी की परवाह मै क्यों करू,
इस दुनिया ने तो मुझे भी आवारा कर दिया।

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28 APR 2022 AT 10:13

मैं पतझड़ से पहले टूटा हुआ पर्ण हूं
मैं महाभारत का बदकिस्मत कर्ण हूं

वक्त से पहले ठोकरें ढूंढता काम हूं
मैं रामायण वाला वनवासी राम हूं

दुःख और दुविधाओं का मिश्रण हूं
मैं जरा बहेलिए से आहत कृष्ण हूं

किस्मत हीन सुदामा की दीक्षा हूं
मैं यकीनन उर्मिला की प्रतिक्षा हूं

सब खोया है अब शिव का तांडव हूं
मैं अपनों से अज्ञातवास में पांडव हूं

हर घटित कहानी का दुखद भाग हूं
मैं छल, कपट, प्रेम, द्वेष, अनुराग हूं

परिश्रम बेकार, हताशा का पात्र हूं
मैं जिंदगी में असफल हुआ छात्र हूं

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"बदल रहे मौसम गुमसुम समय कि धारा हैं,
निष्ठुरता का बोलबाला मानवता बेसहारा है!

दुखीयारा हैं वो भी जो दिल से बेहद प्यारा हैं,
बिछड़ रहे कुछ अपने बिछड़ा नयन का तारा हैं!

कुंठित त्रस्त मानव हैं जो ईश्वर का दुलारा है,
दुर्लभ हुई सुख शांति सुकुन से हुआ किनारा हैं!

बदला ले रही प्रकृति भी सब पर क्रोध उतारा है,
हैरान क्यों है इंसान ये तेरा ही किया धरा सारा हैं!"

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