छोड़ के ना जाओ yq जिया.... मैंने तुमको ये दिल दे दिया.... 🙂 -
छोड़ के ना जाओ yq जिया.... मैंने तुमको ये दिल दे दिया.... 🙂
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"घर तो छूट ही जाता है हर लड़की का पर ये यादें है की छूटती ही नहीं"— % & -
"घर तो छूट ही जाता है हर लड़की का पर ये यादें है की छूटती ही नहीं"— % &
"मुझे हमेशा से लगता था कि सहानुभूति के दो बोल हर प्रकार के दर्द को कम कर देते है, लेकिन आज समझ में आया कीबात जब मां से जुड़े दर्द की हो तो सहानुभूति के हर शब्द के साथ यादें ताजा हो जाती है और दर्द गहरा!"— % & -
"मुझे हमेशा से लगता था कि सहानुभूति के दो बोल हर प्रकार के दर्द को कम कर देते है, लेकिन आज समझ में आया कीबात जब मां से जुड़े दर्द की हो तो सहानुभूति के हर शब्द के साथ यादें ताजा हो जाती है और दर्द गहरा!"— % &
"सागर समाए आंखों में अब पलकों से आंसू गिराते क्यों नहीं!सुकुन की तलाश में होकर भीनादानियों के करीब आते क्यों नहीं?छोड़ सारी मायूसी चेहरे की मिठी मिठी प्यारी नींद सुलाते क्यों नहीं?भटक जाए जो मंजिल से हम अब लोग सही रास्ता बताते क्यों नहीं?भुलाकर नफरतों को दिलों से दिलों को मिलाते क्यों नहीं?" -
"सागर समाए आंखों में अब पलकों से आंसू गिराते क्यों नहीं!सुकुन की तलाश में होकर भीनादानियों के करीब आते क्यों नहीं?छोड़ सारी मायूसी चेहरे की मिठी मिठी प्यारी नींद सुलाते क्यों नहीं?भटक जाए जो मंजिल से हम अब लोग सही रास्ता बताते क्यों नहीं?भुलाकर नफरतों को दिलों से दिलों को मिलाते क्यों नहीं?"
"कहने को आज भी न जाने कितने ख्यालआते जाते रहते है दिमाग में, मगर अब वक्त ही नहीं मिलता हाथों में कलम पकड़ने का!" -
"कहने को आज भी न जाने कितने ख्यालआते जाते रहते है दिमाग में, मगर अब वक्त ही नहीं मिलता हाथों में कलम पकड़ने का!"
"स्पर्श.....एक सुखद अनुभूति!" -
"स्पर्श.....एक सुखद अनुभूति!"
"की दिनभर’बिजी–शीजी’रहते हो आप!मेरे लिए ’टाइम–वाइम’है ही नहीं आपके पास!देखो कहीं मुझे’गुस्सा–वुस्सा’आ गया तो...मैं आपसे ’बात–वात’ हीनहीं करूंगी!" -
"की दिनभर’बिजी–शीजी’रहते हो आप!मेरे लिए ’टाइम–वाइम’है ही नहीं आपके पास!देखो कहीं मुझे’गुस्सा–वुस्सा’आ गया तो...मैं आपसे ’बात–वात’ हीनहीं करूंगी!"
"कहीं उलझी–उलझी सी स्त्रियां,तो कहीं सुलझी–सुलझी सी स्त्रियां!जल जाती औरों के लिए हमेशा,खुद के लिए रहती मगर बुझी–बुझी सी स्त्रियां!" -
"कहीं उलझी–उलझी सी स्त्रियां,तो कहीं सुलझी–सुलझी सी स्त्रियां!जल जाती औरों के लिए हमेशा,खुद के लिए रहती मगर बुझी–बुझी सी स्त्रियां!"
"जब जिक्र हो तेरा तो बस तेरी अच्छाइयों का ही किस्सा रहे!गमों की परछाई से दूर मेरी सारी खुशियों में तेरा हिस्सा रहे!" -
"जब जिक्र हो तेरा तो बस तेरी अच्छाइयों का ही किस्सा रहे!गमों की परछाई से दूर मेरी सारी खुशियों में तेरा हिस्सा रहे!"
"वो कहते है मेरे चेहरे पर चांद सा नूर है,अब कौन समझाए उन्हे की मेरे किरदार के रौनक की असल वजहउनके नाम का ये चुटकी भर सिन्दूर है" -
"वो कहते है मेरे चेहरे पर चांद सा नूर है,अब कौन समझाए उन्हे की मेरे किरदार के रौनक की असल वजहउनके नाम का ये चुटकी भर सिन्दूर है"