Mohit singhai(जैन)   (मोहित सिंघई)
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आँखे मेरी सूख गई,
अब पन्ने सारे गीले है,
भर-भरकर दर्द लिखा मैंने,
सारे शब्द नुकीले हैं
Joined 17 September 2019


आँखे मेरी सूख गई,
अब पन्ने सारे गीले है,
भर-भरकर दर्द लिखा मैंने,
सारे शब्द नुकीले हैं
Joined 17 September 2019
2 NOV 2023 AT 13:56

क्या बात है ? ,बेबजह मुस्कुराने लगे हो,
फिर किसी को अपना बनाने लगे हो,
कहते थे, प्यार-मुहब्बत से दूर ही रहना है,
अब किसके चक्कर में आने लगे हो।

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2 NOV 2023 AT 13:28

अब तो तुम दिल को भाने लगे हो,
धीरे धीरे दिल को चुराने लगें हो,
अब तो रातो में भी जल्दी सोने लगा हु मै,
जब से तुम सपनो में आने लगे हो।

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31 AUG 2023 AT 0:12

सुख अकेले भोग कर...
दुःख में साथी ढूँढ़ते हैं लोग..!!

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7 JAN 2023 AT 17:16

ओस की बूंदों में ,मंजर अच्छा लगने लगा ,
कुछ देर क्या ठहरे, समंदर अच्छा लगने लगा।

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10 AUG 2022 AT 17:32

काश तुम्हारी आंखें भी, थोड़ी सी तो नम होती,
बिछड़न की ये तकलीफे, शायद थोड़ी कम होती।

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24 JUL 2022 AT 18:22

परस्थितियाँ हर-रोज, कुछ बिगडती जा रही है,
चुनोतियाँ मेरे हिस्से में, कुछ चढ़ती जा रही है,
सपने पूरे करने की, अब ख़्वाहिश ही नहीं है ,
जिम्मेदारियाँ जो कंधो पर, कुछ बढ़ती जा रही है।

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19 JUL 2022 AT 12:53

न तुम हमारे वास्ते, न हम तुम्हारे वास्ते,
अब तुम अपने रास्ते, हम अपने रास्ते।

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25 JUN 2022 AT 10:31

मुझको महलो से क्या लेना,
मेरा अपना एक कोना हो,
थक जाऊ पलभर बैठ सकू,
रो लू जब खुलकर रोना हो।

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15 JUN 2022 AT 9:39


ख़ुशी छू कर गुजर जाती है,
गम ठहर जाते है कुछ देर को,
खुशिया हमपर संभाली नही जाती,
हम समेट लेते है गमो के ढेर को।

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14 JUN 2022 AT 18:26

जीवनभर के रिश्तो से, मुख मोड़ना तो पड़ेगा,
दुनिया किराए का घर है, छोड़ना तो पड़ेगा।

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