QUOTES ON #बेमौसम_बरसात

#बेमौसम_बरसात quotes

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11 MAR 2020 AT 14:17

अपने दिल की बात
बिछी है नज़रें राहों में उसके इंतज़ार में,
देखो मेरे दर्द की इन्तहां हो गयी
लगता है बेमौसम बरसात हो गयी
कभी महकते थे पत्ते शाखों पर
लहराती है जुल्फ़े उनकी शानो पर
दिल छलकता है दर्द में हरदम
लगता है उनके आने की दस्तक हो गयी..!

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7 APR 2019 AT 11:21

जुल्मो-सितम की इंतहा प्रकृति का रौद्र रूप बेइंतहा
बेमौसम बरसात की मार रवी फसल हुआ बेहाल
किसानों की आस टूट गई सपनों की गठरी फुट गई
साहुकारों का ऋण बनिये की उधारी और दुनियादारी
आपदा प्रबंधन विभाग में होगी नोच खसोट मारामारी
मुआवजे के नाम पर अधिकारी मिल वांट खाएंगे
किसान किस्मत को दोष देकर चुपचाप रह जाएंगे
बेटी का व्याह दहेज़ का रूपया कहां से आएगा
सोच-सोच कर अन्नदाता मृत्यु को गले लगाएगा..


नकारात्मक लेख
किंतु अटल सत्य..

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7 APR 2019 AT 1:06

बेमौसम बरसात की मार
उजड़ गया कई घर-संसार
किसान के रोटी का निवाला
रवी फसलों का खत्म हुआ बोलबाला
उत्तर भारत के कई जिलों में
खड़ी फसल के कई किलो में
आंधी-तूफान ने उत्पात मचाया
अन्नदाता के लिए हाहाकार मचाया..
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उत्तर भारत के कई जिलों में
अभी-अभी आई बेमौसम आंधी-तूफान
बारिश से रवी फसलों को अत्यधिक नुकसान की
संभावना जताई जा रही है
मेरी मार्मिक संवेदना है अन्नदाता के साथ..

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7 APR 2019 AT 21:03

तन्हा तन्हा हम ,,तन्हा से ये लम्हे
ये मौसम की ,,,,करवट ,,,,
शायद ....,,आँसू है ये वो
जो समां लिए हमने ,,,,आँखों मे ही है ,
आज फिर ....

ना बह सके ,,ये बदक़िस्मती
तो देखो ,,,,दर्द मे झर कर
जैसे ,,,,
मौत भी न मिली हो इनको.....

घिर आई है यूँ घटाएँ
जैसे पुकारा हो नाम मेरा
आज फिर ,,, दर्द ,,छिपा कर तुमने
शायद ......,,
डुबी अश्को की ,,,आँखों से ...हाँ
आज फिर ।..........

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18 OCT 2020 AT 22:21

लिखूंगा फिर से तुम्हारी झुठी मोहब्बत की सच्ची सी तारीफ़े।
जरा ये बेमौसम आँखो की बरसात थोड़ी थम जाने दो।।

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14 MAR 2020 AT 22:30

कैसी प्रीत लगी है,
मेघा को धरती की,
इस बरस रह रहकर,
बूँदें बरसा रहे हैं,
बेकरार यों हैं कि,
वापसी भी अपनी,
न निभा पा रहे हैं।।

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2 JUN 2019 AT 18:04

ये बेमौसम बरसात आई हैं
शायद....
तेरे मेरे मिलने की बेला आई हैं
ये बिजली भी कड़कड़ाई हैं
शायद.....
ख़ुशी की शहनाई बजाई हैं
ये ओले भी बरसाई हैं
शायद....
अच्छी मिठाई बनाई हैं
अब मौसम में सफाई आई हैं
शायद.....
तेरी विदाई हुई और तू मेरे घर आई हैं
🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗

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11 MAY 2024 AT 18:33

इ'ताब में वस्ल-ए-विसाल का हाल है बेहाल
रुखापन रुख़सत कर जो जीतना तुझे काल

तेरे इ'ताब के जलवे से तहस नहस है जहां
इबादते-इश्क़ में तन्हा गुज़रे हैं कितने साल

बेमौसम बरसात लाती बीमारी की सौगात
साँस के तार टूटने से जीवन संगीत बेताल

तुमने क्यों जुदा किया, जुल्फ़ों की छाँव से
गंजे से पूछो बाल की कीमत घूमता बेबाल

घट गया तेरे इ'ताब का कद इश्क़ के आगे
बेमिसाल तेरी चारुता, नहीं दूजी मिसाल।

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14 JUL 2020 AT 9:42

वो आवारगी, वो बेमौसम बरसात...
संयोगवश मेरा घर से बाहर होना..
और बस यूँही भींग जाना..

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21 MAY 2021 AT 23:06

बेमौसम बारिश में टूटते हैं सपने
उजड़ते हैं खलिहान।
कब तक चलता रहेगा ये सिलसिला
पूछते हैं किसान।।

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