मेरे हर काश मे
मेरी हर आस में
सिर्फ़ तुम ❤️-
🎂....पोह मास की पूर्णिमा 🙃🙂😜
रूह के रिश्ते
ना टूटते है
ना रूठते हैं
सिर्फ परखे जाते हैं
सौ-सौ कसौटियों पर
बारम्बार
रूह के लौट
जाने तक लगातार ।-
रूठे-रूठे से है अल्फ़ाज़ आज कल
बिखरे-बिखरे से है ख़यालात आज कल
कि कौन बिछुड़ गया है तन्हा दिल से
कि सीने मे रुक-रुक के चलता है लहू आज कल ।
मौसम भी करता है नजरंदाज आजकल
सुबह सुहानी दुपहर तपती गर्मी
सूरज ,हवा ,पानी का बदला-बदला सा
देखता हूँ मिजाज-ए-यार सा आज कल ।
तू बदला नहीं है,बदल मौसम गया है
तेरी तो है यही फ़ितरत आज कल
तू समझता रहा तेरी दया पर दिल है
ले तेरी दया और दिल से तबाह आज कल ।
कौन करता है दिल का दिल से निबाह आज कल
सब जरूरतों के हिसाब से बदलते है रूह आज कल
कल मेरा था आज होगा किसी और का वो दिल
जो कहता था तुम ही तुम दिखते हो हर ओर आज कल ।
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शब्द सगरे सुने पड़ गए
सागर खारे देख
बंजर पड़ गई धरा देख
सरिता मिल गई रेत
ना सींचा मन बावरा रे
ना देखी ऐसी रेख
रूखा-रूखा मिला संग तो
हो गया जीवन ढेर
रुकते चलते जीवन जाया
जरा पलट कर देख
भीगा भीगा नयन का सागर
आकर बंधा जा ढेठ ।-
रत्ती-रत्ती घटती गई वो थीं रति सदृश देह
सीरत सरिता सी चंचल थी ले गया नूर नेह ।-
कहत करत कब एकसा जानो
मन मरत मृत्यु तुल्य सा जानो
अब भीगी भीगी पलकों पर
ठहरे गहरे मोती मानो ।-