खेत किसान का
कुआं किसान का
बीज किसान का
मेहनत किसान की
गर्मी में पसीना बहता किसान कि
फसल किसान की
दाम किसी और का
किसान का क्या ?-
उजड़ी हुई फसलें,
टूटे हुए सपने
ऐ बारिश तेरा आना,
कोई ख़ुशी की नहीं-
भीगें साथ बारिश में
अभी ये मौसम कहां।
चलो भीगते हैं
अपनी यादों में
तुम वहां हम यहां।।-
कहीं बेरंग
गाल हैं
गुलाल के
इंतजार में।
कहीं गुलाल
बेशुमार हैं
गाल के
इंतजार में।।-
बेमौसम बारिश में टूटते हैं सपने
उजड़ते हैं खलिहान।
कब तक चलता रहेगा ये सिलसिला
पूछते हैं किसान।।-
यदि ये सिलसिला यूं ही चलता रहा
तो एक दिन ऐसा आएगा
की किसानों की जमीन
पूंजीपतियों और राजनीतिक लोगों के
कब्जे में होगी.......।-
जो धूप से नहीं हारा
जो ठंड से नहीं हारा
जिन्हें
बाढ़ ने नहीं हराया,
जिन्हें
सूखे ने नहीं हराया,
जिन्हें
पाला ने नहीं हराया,
जिन्हें
कुदरत नहीं हरा पाई,
उन्हें ये हुकूमत क्या हरा पायेंगी !..........-
"किसान"
खेतों में हल चलाकर देखिए।
पसीने से लथपथ होकर देखिए....
कड़कड़ाती सर्द मौसम में,
फसल को सींचकर देखिए....
चिलचिलाती धूप में,
फसल को काटकर देखिए....
खून-पसीने की मेहनत पर,
कुदरत का जुल्म सहकर देखिए.....
दर दर भटकते दफ्तरों में,
शोषण अन्याय सहकर देखिए....
एसी हीटर से निकलकर।
एक बार किसान बनकर देखिए....-