Hemant Kushwaha   (Hemant Kushwaha (bittu))
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Writer / Law student / social activist
Joined 1 May 2020


Writer / Law student / social activist
Joined 1 May 2020
5 MAR AT 20:31

खेत किसान का
कुआं किसान का
बीज किसान का
मेहनत किसान की
गर्मी में पसीना बहता किसान कि
फसल किसान की
दाम किसी और का
किसान का क्या ?

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21 SEP 2024 AT 21:59

उजड़ी हुई फसलें,
टूटे हुए सपने
ऐ बारिश तेरा आना,
कोई ख़ुशी की नहीं

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12 SEP 2024 AT 15:04

भीगें साथ बारिश में
अभी ये मौसम कहां।
चलो भीगते हैं
अपनी यादों में
तुम वहां हम यहां।।

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12 MAY 2024 AT 10:46

जिसे लिखने के लिए
शब्द कम पड़ जाएं,
"माँ" वो शब्द हैं…...

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25 MAR 2024 AT 2:50

कहीं बेरंग
गाल हैं
गुलाल के
इंतजार में।
कहीं गुलाल
बेशुमार हैं
गाल के
इंतजार में।।

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27 FEB 2024 AT 5:46

बेमौसम बारिश में टूटते हैं सपने
उजड़ते हैं खलिहान।
कब तक चलता रहेगा ये सिलसिला
पूछते हैं किसान।।

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26 FEB 2024 AT 10:54

यदि ये सिलसिला यूं ही चलता रहा
तो एक दिन ऐसा आएगा
की किसानों की जमीन
पूंजीपतियों और राजनीतिक लोगों के
कब्जे में होगी.......।

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21 FEB 2024 AT 22:16

जो धूप से नहीं हारा
जो ठंड से नहीं हारा
जिन्हें
बाढ़ ने नहीं हराया,
जिन्हें
सूखे ने नहीं हराया,
जिन्हें
पाला ने नहीं हराया,
जिन्हें
कुदरत नहीं हरा पाई,
उन्हें ये हुकूमत क्या हरा पायेंगी !..........

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19 FEB 2024 AT 18:48

"किसान"

खेतों में हल चलाकर देखिए।
पसीने से लथपथ होकर देखिए....

कड़कड़ाती सर्द मौसम में,
फसल को सींचकर देखिए....

चिलचिलाती धूप में,
फसल को काटकर देखिए....

खून-पसीने की मेहनत पर,
कुदरत का जुल्म सहकर देखिए.....

दर दर भटकते दफ्तरों में,
शोषण अन्याय सहकर देखिए....

एसी हीटर से निकलकर।
एक बार किसान बनकर देखिए....

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7 FEB 2024 AT 22:10

दीवानें हैं लोग बनावट के
हम सादगी लेकर कहा जाएं

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