बचपन से सुनता आया हूँ
कि अपनी बिन ब्याही माँ
का पाप हूँ मै।
आज ऐसी ही किसी माँ के,
कूड़ेदान मे पड़े बच्चे का
बिन ब्याहा बाप हूँ मैं।-
पता नहीं,
कब जिंदगी "मौत" को गले लगा ले,
इसलिए हर रोज थोङा वक़्त,
"माँ-बाप" के साथ जरूर बिताना।
जिन्होंने तुम्हें "अफसर" बनाने के लिये,
अपनी आधी "ज़िन्दगी"दाव पर लगा दी।-
....महफूज नहीं रहती है सांसे उसकी
दहेज का खंजर हलक में जा उतरा है
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वक़्त से पहले इज्ज़त, बेपर्दा किया नही करते
बे लिबास वाले प्यार,ज्यादा दिन चला नही करते
भरे बाजार ताकतें रहते हैं जो हर चेहरे को,
इत्मिनान से कभी उनके घर बसा नहीं करते।
जिस्मानी मोहब्बत करने वाले,बिस्तर की ताक में रहने वाले,
किसी एक संग जिंदगी गुज़ारा नहीं करते।
मां बाप की नज़र झुका, इश्क का जश्न मनाने वाले,
देखना उन्हें गौर से,कभी खुश रहा नहीं करते।
क्या था इश्क ,क्या बना दिया जिस्म के लुटेरों ने
"मुनीष" सच्चे आशिक बंद कमरों में मिलने की जिद्द किया नही करते-
न अमीरी से रिश्ता है न ग़रीबी से रिश्ता है
बाप जैसा भी हो हर हाल में फरिश्ता है-
इन दिनों आदत हो गई माँ-बाप के पास रहने की
बिछड़न महसूस होगी गए अगर तेरे शहर में दोबारा-
हजारों दर्द दिल में हो मगर
पर किसी से नहीं कहता
उठा लेता हमे पलकों पर
एक बाप बच्चो को गिरने नहीं देता....-
आयुष्यातील पहिला मित्र
उन्हात सावलीचा छत्र||
आतून असे मृदू व प्रेमळ
वरवर बघता कठोर पोकळ||
कुटुंबाचा एक आधार
डोई त्याच्या कर्तव्याचा भार||
आपले आयुष्य लिहिणारा
सुखदुःखात पाठीशी असणारा||
सौभाग्य प्राप्त देवता
फक्त तुम्हीच "बाबा"||
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