उम्मीद जहां होती है
उदासी वही जन्म लेती हैं ।-
कि तू मुहब्बत करें या ना करे ये तो बस तेरी मर्जी ...
पर हम तो लगा बैठे हैं कब से इस दिल की अर्जी ...-
बात जो मन मे छुपी थी,कितने दिनों से,
बातों बातों में आज वो बात बोल दी.
अनसुनी करके मेरी बातों को,
हँसकर उसने मेरी बात टाल दी.-
सोचे थे, मिलेंगे..कुछ देर बैठेंगे.... बातें करेंगे....और कोशिश करेंगे कि अब सारी बातें ख़त्म हो जाएं....
पर ये क्या....
तुम तो बात ही ख़त्म कर दिए....-
बातों बातों में
लोग बहुत बड़ी-बड़ी
बातें कर जाते हैं
लेकिन यह भूल जाते हैं
बातों से कुछ नहीं होता
जो बोला है वो करके भी
दिखाना होता है
चादर से अगर बाहर पांव
फैलाने है तो चादर को बड़ा
करना होता है
हवा में बातें ना करके
सच में कुछ करके दिखाना होता है
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आँखों को पढ़ो तो जानो की राज क्या है
दिल की सुनो तो जानो की जज़्बात क्या है
कहना सुनाना तो सब पुरानी बातें है अब
हालत देखो हमारी और बताओ कि बात क्या है
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खादानी तेरे चेहरे से नहीं
तेरे बातों से पता चलती
है कि तेरी औक़त क्या है!!!-
हम मोहब्बत के फकीरों से
कैसे खुद को बचाओगे,
बुनेंगे शब्दों का जाल
हम कुछ इस तरह की
दिल अपना तुम
झोली में हमारी
खुद रख कर चले जाओगे..-
"अनकही बातें...
ना जाने भैया..किसने ये शब्द बनाया है।
खुद में ही पूरा झोल झाल समाया है।
बातें भी होती नहीं,
और बात भी हो जाती है,
लोग कहते हैं..एहसासों की झड़ी लग जाती है।
बिना कहे भईया.. सब समझ आ जाता है,
फिर कोई हमें बताए क्यों दुनिया में..बोलना सिखाया जाता है।
खामोशी में भी लोग लंबी चौड़ी.. बातें कर जाते हैं,
निगाहों के जादू.. ऐसा असर कर जाते हैं।
बड़ी माथापच्ची है इस अल्फाज़ में,
कितने रिश्ते टूटे.. इस शब्द के बबाल में।
बड़ी बुरी हालत.. इस शब्द ने बनाई है,
कैसी रीत समझने की..इस शब्द संग आई है।
कैसी रीत समझने की..इस शब्द संग आई है।।"
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बातें तुम्हारी मुझसे देर तक हो..
इस लिए तो मै तुम्हें बातों में उलझाये रखा..😍-