दर्द भी तुम हो तो दवा भी तुम हो ...
अब ये ना पूछना कि रहते कहां गुम हो ....-
यूं तो सितारे बहुत है आसमां में पर चांद हमें ही रखना ...
खिलते तो बहुत फूल जमीं पे पर गुलाब हमें ही रखना ...-
मैंने तुम्हारे लिए पीछे अपनी कुछ यादें छोड़ी है ...
कभी फुरसत मिले तो अपनी याद से संभाल लेना ....-
कभी हम भी ऐसन ही शरमा जाते थे
वो पकड़ते थे कलाई और घबरा जाते थे...
कभी हम भी छुप छुप के उनसे नज़रें मिलाते थे
नज़रें जो मिलती तो झट से झुका लेते थे ..
कभी वो जब हम से फोन से बतियाते थे ..
हम चुन्नी का कोना मुंह में दबाते थे ..
कभी यादों में जब वो आ जाते थे ...
हम रातों की नींदे अपनी गंवाते थे ....
कभी हम भी सहेलियों संग बतियाते थे
और दबी हंसी से उनकी सारी शरारतें सुनाते थे ...
कभी वो चोरी से मिलने हमसे आते थे
और ये राज हम जमाने से छुपाते थे ....
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पानी के बुलबुलों सा चल हर ग़म को उडा देतें है..
एक ही तो जिंदगी है चल थोड़ा सा जी लेते हैं ...-
हमने तो हौलै से कानों में इश्क कहा था ..
बदले में उसने अपने दिल को थाम लिया था ...-
जैसे बारिश की बूंदों से माटी का महक जाना ...
वैसे कुल्हड़ की चाय से दिल का चहक जाना ...-