ममता की आँचल में, ममता की छाँव में ।
मन मेरा रमता है, उस छोटे से गाँव में ॥
मन मेरा माँ की गोंद में जब सोता है,
स्वर्ग के जैसा एह्सास मुझे होता है
माँ मुझे अपने गले से लगा लेती है,
दिल मेरा जब किसी बात पे रोता है
हर गलती पे मेरी, माँ आती है बचाव में ।
मन मेरा रमता है, उस छोटे से गाँव में ॥
हर रोज माँ का मुझको वो समझाना,
पापा का मेरे लिये नये उपहार लाना
भाईयों का मुझसे वो लड़ाई करना,
वो बहनों से हाथ पे राखी बंधवाना
अच्छा नहीं लगता कुछ भी, उस प्यार के अभाव में
मन मेरा रमता है, उस छोटे से गाँव में ॥
मेरी खुशियों के लिये हर रोज मंदिर जाना,
हर काम से पहले दही और चीनी खिलाना
घर से दूर जाते वक्त मेरे ए "नवनीत"
दरवाजे के पीछे छुपके माँ का आँसू बहाना
भवसागर पार करना है इस संस्कार के नाँव में ।
मन मेरा रमता है, उस छोटे से गाँव में ॥
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