शायद वो सावन भी आए
जो पहला सा रंग न लाए
बहन पराए देश बसी हो
अगर वो तुम तक पहुँच न पाए
याद का दीपक जलाना
भैया मेरे, राखी के बंधन को निभाना
भैया मेरे, छोटी बहन को ना भुलाना
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🖤★●••🌹About•👧•Girls🌹••●★🖤
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में नन्ही सी कली हूँ मुझे खिल जाने दो,,
तुम्हारे आँगन का फूल हूँ महक जाने दो,,
बेटियां बोझ नही होती है इन काँधों पर,,
वे यूँ ही पल जाती है उन्हें पल जाने दो,,
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❣️पूरी कविता❣️ अनुशीर्षक में पढ़े❣️
♥️ बेटियों का प्यार खुदा की रहमत होता है♥️-
बहनो का रिश्ता होता
बड़ा ही प्यारा बड़ा ही न्यारा,
सुख-दुख में सहज ही बन जाती
वो एक-दूसरे का सहारा।
तेरा मेरा कहकर कभी लड़ती
तो कभी छोटी-छोटी बातों पर झगड़ती,
कभी प्यार भरी बरसात करती,
अपनी पसंदीदा चीजें भी शेयर करती।
छोटी होती बड़ी ही नटखट ,
दादी के जैसे करती रहती खटपट ।
बड़ी लगती ऐसी
मां की परछाई हो जैसे ,
बचाने छोटी को डांट से सबकी
जतन करती कैसे-कैसे।
विदाई होती जब बड़ी की ,
जैसे जान ही चली जाए छोटी की।
जुदा होकर सबसे ज्यादा रोती
ये जोड़ी अलबेली ,
जाने एक दूसरे की बातें सारी
ऐसी होती ये पक्की सहेली।।-
ममता की आँचल में, ममता की छाँव में ।
मन मेरा रमता है, उस छोटे से गाँव में ॥
मन मेरा माँ की गोंद में जब सोता है,
स्वर्ग के जैसा एह्सास मुझे होता है
माँ मुझे अपने गले से लगा लेती है,
दिल मेरा जब किसी बात पे रोता है
हर गलती पे मेरी, माँ आती है बचाव में ।
मन मेरा रमता है, उस छोटे से गाँव में ॥
हर रोज माँ का मुझको वो समझाना,
पापा का मेरे लिये नये उपहार लाना
भाईयों का मुझसे वो लड़ाई करना,
वो बहनों से हाथ पे राखी बंधवाना
अच्छा नहीं लगता कुछ भी, उस प्यार के अभाव में
मन मेरा रमता है, उस छोटे से गाँव में ॥
मेरी खुशियों के लिये हर रोज मंदिर जाना,
हर काम से पहले दही और चीनी खिलाना
घर से दूर जाते वक्त मेरे ए "नवनीत"
दरवाजे के पीछे छुपके माँ का आँसू बहाना
भवसागर पार करना है इस संस्कार के नाँव में ।
मन मेरा रमता है, उस छोटे से गाँव में ॥-
मैं दुनियादारी की नहीं, आज घर की बात लिखता हूं
गमों को आज़ाद कर खुशियों की सौगात लिखता हूं
तेरे होने से जो चहक उठता है घर का हर इक कोना
दिल में उमड़ रहे ऐसे सैकड़ों जज़्बात लिखता हूं
शाम को आंगन में बच्चों को शरारतें करता देख
तेरे साथ मिल किए गए बचपन की खुराफात लिखता हूं
इक मुद्दत से लिफाफे में ही मिलती रही हैं तेरी राखियां
अबकी राखी पर तुझसे होने वाली मुलाकात लिखता हूं
हमेशा भरा रहे हंसी-खुशी से मेरी बहन का संसार
मैं ऊपर वाले से की गई अपनी फरियाद लिखता हूं
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ओस की बूंदों की तरह होती है बेटियां।
मां बाप की जरा सी तकलीफ पर रोती है बेटियां।
बेटो का क्या है ,कुल को रोशन करे ना करे
मगर दो दो कुलो की शान होती है बेटियां।।
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नीम के आगे खाट पड़ी है, खाट के नीचे करवा।
प्रयागदास अलबेला सोवै, रामलला कै सरवा।।-
रावण में चाहे लाख बुराई थी पर एक काम तो अच्छा किया था !
अपनी बहन के ख़ातिर वो भगवन से भी लड़ बैठा था !!-