प्रेम प्रीत उलझन उलझाए पिया
एक पल पलक झलक झलकाए सिया
हाय....राम से न सम्हलत सम्हलाए जिया
शर्मीली सहमी मृगनैनी मंद मंद मुस्काए धीया
पवन सनन पानी बरसे गरज गिरजाए बिजुरिया
धक धक धड़कन धड़काए भड़काए जिया
सिय ने राम, राम ने सिया को सब सौंप दिया
गले में जयमाल भई दोनों एकदूजे को स्वीकार किया
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केशरीया धूप
तुम्हारा श्वेत स्वरूप
रंग धानी की
लहराती रवानी मे खोया में
लो जी..
संग तुम्हारे अब होया में
झुकी पटे
उलझी लटे
संग प्रेम की
घुली चाशनी मे खुद को डुबोया में
लो जी..
संग तुम्हारे अब होया में
सुहानी तनु
मन मोहिनी मनु
तंग गलियों की
बहती काशी मे नहा धोया में
लो जी..
संग तुम्हारे अब होया में
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ये जो आंख मिचौली का खेल हैं न,
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तुम्हारा टिमटिमाना, और फिर गायब हो जाना
मुझे खलता है अब।
दिन भर बादलों से घिरी रहती हो, दिखती हो
सूरज ढलता है जब।
पूछ लिया करो वहीं, क्या गलती थी मेरी
साथ तुम्हारे रहता है रब।
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चुराना होता तो कबका तुमको तुमसे चुरा लिया होता,
मगर तुम्हारी बेसब्र आंखों में इंतेज़ार देख, दिल मचलता है ।।-
कुछ ऐसी है जनाब
के बयान करे तो करे किस्से ।
सब कुछ लुटा दिया, तुम पर
केवल रखा, तुम्हारा प्रेम अपने हिस्से ।।
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🖤
इस बात का, नहीं है
के तुझे पा न सका
तेरी खुली बाहों मे
आ न सका,
तू रूह बन गई और
मेरा जिस्म तुझ मे
समा न सका
मगर अफसोस...इस बात है
के तू अकेली चली गई और,
में तेरे साथ भी ना जा सका..
❤️-
चाहत से राहत के सफर मे
फर्क सिर्फ "चा" ओर "रा" का नहीं होता
इच्छाओं से जन्मी चाहत
उसी को मिलती है जो रात दिन नहीं सोता
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कहा से चल पड़ी, शीत लहरियां
मौसम बदल गया अचानक, बंबई नगरिया मे
बहने लगी शीतल पवन पुरवइया
काम न चले अब तो, पतरकि रजइया से
भुलो न भटकों अपनी डगरिया
आओ न गोरी तनिक, जकड़ लो बहियां मे
भरने लगी जो आहें, उफ्फ..हाय दईया
हट हुट.. बक फूट.. न करो, छू ने दो कमरिया रे
समझो न जरा हमरे दिल की बतिया
अब न सहाय ठंडी जल्दी से बन जाओ मेहरिया रे-