" क्या करूँ कि इन फूल जैसे हाथों को
फूलों से सजा दूँ ;
एक - एक इन नन्हें - नन्हें हाथों में किताब थमा दूँ !! "-
छोटे बच्चे की मुस्कान पर कभी शक मत करना
क्योंकि उसकी मुस्कान बनावटी नही होती,
जो आज के इस दौर में हमलोग अक्सर
बनाया करते हैं।-
मुद्दतों के बाद आज मुझे वह मंज़र दिखा है,
किसी गरीब बच्चें के होठों पर मुस्कुराहट का
प्यारा सा फूल खिला है।-
मैं भी बेबस हुँ
इस दृश्य को देखने को
जब तक गरीबी नहीँ हटेगी
इन नन्हे नन्हे माथे पर
जिम्मेदारी की बोझ यूँ ही रहेगी😟-
ढूँढती है ये दुनिया जिसे मंदिरों में,मस्जिदों में
मिलता है वो रब मुझे बच्चों की मुस्कुराहटों में..-
कौन कमबख्त कहेता हैं,
जो हँसते बहोत हैं,
वो दर्द को छिपाते बहोत हैं।
ऐसा वो ही सोचते हैं,
जिन्हों ने अपनी घटीयाँ सोच
अभी तक छोड नहीं पातें हैं।
बच्चे सी मासुम सोच रखकर देखो
अपने आप मुस्कुराना शीख जाएँगे।-
घर में एक नन्हा बच्चा आया..
फीर
खिलौने आए....
ओर अब पूरे घर में बचपना आ गया..-
उनकी खुशियों की तुलना किसी से ना करें उनके पास जो खुशी वह हमारे पास नहीं कभी उनके खिलखिलाते चेहरे को देखा करें क्या वह हमारे पास सोचा करें
-
नन्हे-मुन्नो से गुलशन हो बगियाँ आपका..
उनकी किलकारी से चहके आगँन आपका..
मासूम हंसी से रौशन हो घर आपका...
दिये के जैसे चमके चिराग आपका....-