बड़ी मसरूफ़ रहती है, जिंदगी शायरों की,
फुरसतों में भी वो, शब्दों के जाल बुनते हैं !-
फलसफा फ़क़त फ़साने का है,
फुरसत में फुरसत से सोचना,
फ़ना ही गर फितरत है तो,
फैसले का फैसला फुरसत में सोचना!-
"बहुत कुछ है कहने को"
खता हुई क्या मुझसे, मिलकर एक बार बताना जरूर
यादें जो रह गयी तुम्हारे पास, साथ उन्हें लाना जरूर।
अभी थोड़ा वक्त और लगेगा, मुझे संभालने में खुद को
बहुत कुछ है कहने को, फुरसत मिले तो आना जरूर।
ऐसे भी कोई रूठता है क्या, अपनों से नाराज यूँ होकर
किस बात पे रूठा है दिल, एक बार इसे मनाना जरूर
बहुत शिद्दत से सजाया है मैंने, इसे तुम्हारी खातिर
कुछ हसीन लम्हें मेरे दिल के, घरौंदें में बिताना जरूर।
ये सफर प्यार का कट जायेगा, मिलकर साथ चलनें से
बढ़ लूंगा मैं दो कदम, दो कदम तुम भी बढ़ाना जरूर।-
मोहलत तो मिले,
पर फुरसत ना मिली,
यार तो मिले,
पर सोहबत ना मिली,
आशिक़ तो मिले पर,
मोहब्बत ना मिली,
ढूंढते रहे पूरी राह मगर,
जिन आंखों की तलाश थी हमें,
उनकी इनायत ना मिली।-
"बड़ी फुर्सत से आज फुर्सत के बारे में सोचा, तो पता चला की आजकल फुर्सत ना जाने कहां खो गई है।"
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फुरसत मिले जमाने से तो
मुझे भी याद कर लेना
बहुत दिन हो गया हिचकी
नहीं आयी मुझे ।।-
जब भी हो थोड़ी फुरसत
मन की बात कह दीजिये
बहुत ख़ामोश रिश्ते ज़्यादा दिनों तक ज़िंदा नहीं रहते-
जब भी हो थोड़ी फुरसत
मन की बात कह दीजिये
बहुत ख़ामोश रिश्ते ज़्यादा दिनों तक ज़िंदा नहीं रहते-
जो आईनें में ही, तरह-तरह की जात ढूंढ लेते है,
वे फुरसत मिलते ही, थोङा बीमार हो लेते है ।
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