सरकारी नौकरी करके भी अगर काम करना पड़ा, तो ऐसी ज़िंदगी पर लानत है।
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Ex की बातों पर एक बार भरोसा कर लेना लेकिन अखबार की राशिफल पर कभी मत करना ... 😬😬
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कभी ईमानदार तो कभी बेईमान कहते हैं
हम प्राइवेट जॉब वाले हैं बस चुप रहते हैं।।-
दादा जी अक्सर कहते थे, "ज़ंजीर चाहे लोहे की हो या सोने की, होती ज़ंजीर ही है, बंधने के बाद कुत्ता हो या शेर सब एक समान, जंगल छोटा हो या बड़ा शेर राजा ही होता है"!
पहली बात तो ये कि हम जानवर नही इंसान है, सो ज्यादा दिमाग लगाना उचित ना था, फिर उम्र ज़रा सी बढ़ी तो दादा जी का ये कॉन्सेप्ट सिरे से ही गलत नज़र आया, सर्कस का शेर मस्त अलग अलग शहर देखता है, वक़्त पर अपने आप ही पिंजरे में खाना मिल जाता है, शिकार की कोई भागदौड़ नही, भोजन ना मिलने का रिस्क भी नही। काफ़ी सालो तक मैं अपने इस फॉर्मूले को सही मानता रहा, किन्तु कल एक मित्र ने सारा दृश्य ही बदल दिया।
निजी कंपनी में जॉब करने वाला एक मित्र जो हमारी नज़रो में सफलतम से भी ऊपर के पायदान पर विराजमान है, अचानक फूट पड़ा "कुत्ते जैसी ज़िन्दगी हो गई है, कितना भी काम कर लो, मालिकों को कम पड़ ही जाता है, एक टारगेट अचीव करो तो दूसरा पकड़ा देते हैं, शिकायत करो तो कहते है सैलरी लेते हो काम करना ही पड़ेगा, इससे अच्छा तो चाय की टपरी खोल लूँ, छोटा सही पर खुद का काम तो होगा, ज़ंजीर चाहे लोहे की हो या सोने की, बात एक ही है"....
अंतिम वाक्य दादा जी की सीख का यथार्थ समझा गए,
थोड़ी देर मैं गंभीर मुद्रा में सोचता रहा,
फिर ख्याल आया,
"मैं ठहरा अखण्ड बेरोज़गार, मुझे इतनी चिंता क्यों".......-
मैं प्राइवेट जॉब वाले की तरह सरकार पर ताने कसने वाला प्रिये,
तुम सरकारी नौकरी वाले की तरह कोई फर्क नहीं पड़ता समझने वाला प्रिये..-
प्राइवेट स्कूल, प्राइवेट अस्पताल, प्राइवेट सबकुछ,
तकलीफ में न कोई आगे आया खुद अपने से पूछ,-
Govt. Love Vs Pvt. Love (Part -2)
क्या कहा ,बड़ा खूब कहा, सिक्योर जॉब है
हर साल फिक्स इंक्रिमेंट का ख्वाब है
तो सुन मेरी जान, आज हम रिजाइन मारे तो चार खड़े हो जाते है
सैलरी की प्रोब्लेम है कितने बढ़ाऊं पीछे पड़ जाते है
जा रही है जाना ही तो जा ना ......
कर रही तू बात सिक्योरिटी की
मेरी जान यहां से गए तो चार कंपनियां खड़ी है
तू बता तेरा वाले का गया तो क्या करेगा
पाव बेचेगा या सब्जी तलेगा
सोच ले मेरी जान मेरी मान या अपनी मान, बाकी
जा रही है जाना ही है तो जा ना .....
जा रही है जाना ही है तो जा ना
बहलाना क्यो फुसलाना क्यों
जब जाना ही है तो समझाना क्यो
जा रही है जाना ही हैं तो जा ना ।-
सर पर जब जिम्मेवारियां हों
तो हिसाब से रहना पड़ता है.!
बहुत कुछ सुनना भी पड़ता है
बहुत कुछ सहना भी पड़ता है.!
Pvt job......... 🙂-
नौकरी सरकारी हो तो लाइफ बन जाती है,
प्राइवेट में तो सेलरी ही धोखा दे जाती है,
महज कुछ कागज के टुकड़े डिग्री बन जाती है,
पैसों के दम पे आज सरकारी नौकरी मिल जाती है,
पैसो के आगे दुनिया झुक जाती है,
शिक्षा महज कठपुतली बन जाती है।
अनुभव, कौशल और डिग्री सब धरी रह जाती है,
जब कोई नेता के बेटे की सिफारिश आती है।
प्राइवेट नौकरी भी तब धोखा दे जाती है,
जब भाषा के नाम पे डिग्री साइड रख दी जाती है।
20 का CTC, 15 हाथ में आते हैं,
फंड के नाम पे पूरे पांच हजार खा जाते हैं।
8 घण्टे कि ड्यूटी में 12 घण्टे काम कराते हैं,
सेलरी के नाम पे हाथ में बस चिल्लर आते हैं,
कहीं कंधे जिम्मेदारी के बोझ से झुक जाते हैं,
तो कोई ताउम्र बस EMI के बिल भरते रहे जाते हैं।।-