Aniruddha Dixit   (अनिरुद्ध दीक्षित ❣️✍️)
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Joined 8 December 2021


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10 JUL AT 6:50

आंख मूंद कर बैठोगे तो भव्य बनाकर छोड़ेंगे,
हाथ पकड़ लेंगे तो तुमको दिव्य बनाकर छोड़ेंगे ।
गुरु की गुरुता के ऊपर किंचित संदेह नहीं करना,
वह मिट्टी के भी होंगे तो एकलव्य बनाकर छोड़ेंगे।।
प्रथम गुरु (माता-पिता) से लेकर अब तक के सभी गुरुओं को मेरा सादर चरण स्पर्श सहित गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!
🙏🚩 सदगुरुदेव भगवान की जय🚩🙏

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5 JUL AT 8:23

जिनका इरादा साथ चलने का हो वो बहाना बनाया नहीं करते,
हर किसी के दिल में वह प्यार की महफ़िल सजाया नहीं करते।
एक ही से निभाते हैं ताउम्र यह हंसी मोहब्बत का रिश्ता,
वो अपने दिल को दिल रखते हैं बाजार बनाया नहीं करते।।

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4 JUL AT 19:38

किस्मत का हर एक फैसला
अब हमें स्वीकार्य हो रहा है,
जल्द लौटेंगे अभी दिल की
मरम्मत का कार्य हो रहा है।।

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4 JUL AT 19:35

उनके साथ देखे ख्वाब
सारे भाप बनकर उड़ गए,
हमने अपना दर्द समेटा
और ग़म से जुड़ गए।
मोहब्बत के खराब मौसम
की एक आधी झेल ना सके,
फिर वह अपने किए हर
वादे से मुकर गए।।

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31 DEC 2024 AT 6:04

इतना कर लिया बेख्याल कि अब कोई
दोबारा मेरा ख्याल न कर सके,
ओटीपी जैसा बना लिया खुद को ताकि
कोई दोबारा इस्तेमाल न कर सके।।

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29 FEB 2024 AT 19:59

तुमने क्या सोचा मैं तुम्हें ऐसे ही भूल जाऊंगा,
मैं हवा का झोंका हूं वापस लौट कर आऊंगा।।

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29 FEB 2024 AT 19:35

तुम्हें पानी की चाहत में
हमने खुद को खो दिया है,
बेहद हंसने वाला शख्स
तेरा नाम लेकर रो दिया है।।

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29 FEB 2024 AT 19:32

दिल की दीवारों पर तेरा नाम लिख रहा है,
तेरी तस्वीर को उन दीवारों पर सजा रखा है।
एक लड़की है जो मुझे जान से ज्यादा चाहती है,
यह बात अपने घर वालों को मैंने बता रखा है।।

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29 FEB 2024 AT 6:52

कारे कारे कजरारे नैना है
बिहारी के जिन्हें देख कर
देखता ही रह जाऊं मैं,
हो जाए दया जो मनमोहन
की तो उनकी दया की
वर्षा से भीग जाऊं मैं।।
कहीं एकबार मिल जाए
ये मेरे नयन जो बनवारी
जी के नयनों से तो,
घर बार सब छोड़कर सारे
ब्रज मंडलमें घूम-घूम
राधे-राधे गाऊं मैं।।

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22 FEB 2024 AT 22:23

मुद्दतों बात आईना देखा तो आईना
बोला मुझसे तुम पहले से रहे नहीं,
दिल में दर्द लिए फिरते हो तुम मगर यह
बात आज तक किसी से कही नहीं।।

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