सोचता हूँ ये पल ठहर जाए यही ,
की मेरी ज़िंदगी में कल सुबह का उजाला ना हो ।
मगर क्या करे घर में बूढ़े माँ बाप है ,
क्या पता कल उनका कोई रखवाला हो ना हो ।।
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ये कहानी शुरू हुई है तेरी मेरी फोटो से लेकर
बस हक़ीक़त में तेरे संग बुढ़ापे के दौर तक चला जाऊ
और लोग कहते है दोस्ती के बाद इश्क़ होता है ,
अजी हमे तो इश्क़ के बाद दोस्ती हुई है
और ऐसे दोस्त के लिए मौत से भी लड़कर आ जाऊ।-
ज़िंदगी का एक नया सफ़र शुरू होने वाला है ,
पहले अकेले थे अब एक हमसफ़र साथ होने वाला है |
पुराने लम्हे जैसे भी गुजरे बड़े अच्छे गुजरे यारों ,
देखते है ये नया सफ़र कौन सा मोड़ लेने वाला है |
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प्यार, इश्क़ ,मोहब्बत ,आजकल है एक खेल ,
और खेलने वालो के लिए बस रात भर का तमाशा ।
तड़प है उनको भी लेकिन , मोहब्बत ये शरीर तक
कि आज कोई और तो कल कोई और ,
अरे रवि तू मत रख उनके तेरे दिल में आने की अभिलाषा।-
भुल गए थे कलियुग का दौर चल रहा है
जब लोगो ने मतलब से जाना हमको,
समझ आया हमे भी बदलना होगा ।-
कल का दौर कुछ और था आज का दौर कुछ और है
ये प्यार मोहब्बत बस रात का खिलौना सुबह कोई और है
ये दिल के सच्चे वादे के पक्के इन्हें प्यार नहीं कहते जनाब
जिसने खेलना सिख लिया दिलो से, ये मोहब्बत की कश्ती उसकी ही ओर है ।-
रात बीती मगर उनका ख़्याल ना गया,
सोया तो था मगर बीते ये हाल ना गया ।
अब ये मोहब्बत के क़िस्से किसको सुनाऊ अपनी ,
की उनके दिल से मेरे शब्दों का मलाल ना गया ।।-
ना आता था हमे लोगो को पढ़ना
ना आता था हमे दुनिया को देखना
हुया कुछ ऐसा कुछ दिनों हमारे साथ
क्या कहे अब हम दुनियादारी भी सीख गये।
हुनर ना था हमे शिरी कलामी करने का
हुनर ना था हमे लोगो से फ़साहत करने का
उनका साथ और हम सलीक़ा यें यारी सीख गये
क्या कहे अब हम दुनियादारी भी सीख गये ।
की बड़े ही ख़ुशमिज़ाज थे हम
लोगो की बातो के फ़राज थे हम
उनका साथ और हम फ़िराज ये यारी सिख गये
क्या कहे अब हम दुनियादारी भी सीख गये ।
लोगो ने बस मतलब से जाना हमको
हमने बस अपना माना सबको
उनका साथ और हम मतलब ये यारी सिख हुए
क्या कहे अब हम दुनियादारी भी सीख गये।-
एक खिलौना था , जिसकी कोई क़ीमत ना थी
तराशकर उसे खूबसूरत हमनें बनाया
आज खेल कोई और रहा है साथ उसके
और लोगो ने मज़ाक़ हमारा उड़ाया।
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किससे दोस्ती करे किससे रिश्ते बनाये ,
बेगाना तो ये सारा जमाना निकला ।
बड़ी बारीकी से परखा है एक एक को ,
क्या कहे हर रिश्ता रात का महख़ाना निकला ।
अब तो टूट चुके है हम सारे रिश्तों से छूट चुके है ,
ना दोस्त चाहिए ना यार चाहिए ,
हमे तो हमारा हमारा पुराना इतवार चाहिए ,
रात की नींद उड़ी है दिन का चैन छीना है ,
हमे तो हमारा पुराना हर वार चाहिए ,
की आते जाते हर शिकार को देखा है हमने ,
हमारा तो हर यार एक बुरा अफ़साना निकला ।।
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