रात की आंखों से, सुबह की उम्मीद में जागते हुए देखा है।
सुख की चाहत में, इस झूठे संसार में भागते हुए देखा है।।
परम सुख की चाह।
केवल प्रभु की राह।।-
प्रेम अभिशाप कोई बिडम्बना कृतार्थ है
मैं ना कहुँ तो झूठ है यह अदृश्य कोई यथार्थ है,
युद्ध के विरुद्ध बिना सारथी का रथ कोई
जैसे चक्रव्यूह में अभिमन्यु ना लौटने का पथ कोई,
मीरा की भक्ति कोई यह कृष्ण का कोई ज्ञान है
जो हरण कर भी ना छुए वो रावण भी महान है,
अधूरी सी कहानी कोई पुनर्जन्म की कोई आस है
आख़िरी अभिलाषा में रुकी कोई आख़िरी साँस है,
कालिदास की कल्पना कबीर का दोहा कोई
रहीम की भक्ति में पिघलता सा लोहा कोई,
मैं तुच्छ अबोध क्यूँ फ़िर मरण की शरण में हूँ
है प्रेम गर पाक प्रभु सा तो मैं प्रभु तेरे चरण में हूँ..!-
उस परमेश्वर की तुलना करना बड़ा अशोभनीय लगता है,
जो निराकार, निर्गुण और सर्वगुण सम्पन्न है!
उसको शब्दों में कैसे विभाजित किया जा सकता है......
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द-
हे प्रभु राम हमारे।
हमें राखो शरण तिहारे।।
जोगन हो गई तुमरी दासी।
अंखियाँ तेेरी दरस अभिलाषी।।
मन राम ही राम पुकारे।
हमें राखो शरण तिहारे।।
भव में डूबी नाव हमारो।
नैया प्रभु अब आन उबारो।।
जीवन डोर है हाथ तिहारे।
हमें राखो शरण तिहारे।।
जीव जगत सब तेरे हवाले।
अपनी रचना आप सम्हाले।।
स्वामी तुम, हम दास तुम्हारे।
हमें राखो शरण तिहारे।।-
प्रभु फिर आना,आशा नई जगाना,
स्वप्न जो हो रहे छिन्न-भिन्न हैं,उनका नव-निर्माण कराना ,
प्रभु फिर आना,जीव-जगत को राह नई दिखलाना,
प्राणी जो आज विचलित हो रहे,उन्हें मानसिक शांति पहुँचाना,
प्रभु फिर आना,प्रेम और शिक्षा का पाठ पढ़ाना,
बुद्धि जो आज भ्रमित हो रही,उसका आत्म मंथन करवाना,
प्रभु फिर आना,दुख दर्द हर जाना,
मानू तुमको पीड़ा हर मैं,सुखसागर बरसाने वाला,
प्रभु फिर आना,शांति दूत बन जाना,
अपना मेरा जिनके मस्तिष्क में,
उनको सोह्रादय ज्ञान सिखलाना,
प्रभु फिर आना,मुझमें अपना विश्वास अमर कराना,
तेरे पथ पर चलूँ हमेशा,ऐसा वर दे जाना,,,,,,,!-
ऐ खुदा! तेरी नियामत है तो सब है,
मेरी ख्वाहिश क्या और मुद्दा भी क्या।
तूने ख्वाब भी बख्शे और आँखें भी,
अब अपने बंदों को और देगा भी क्या।
तूने समझ भी दी और एहसास भी,
इससे और ज्यादा अब देगा भी क्या।-
ऐ खुदा मुझ पर तू बस इतनी मेहरबानी कर,
बांध अपनी दोस्ती में, मुझ पे ये कद्रदानी कर।
मैं वो किताब बनूं, हर पन्ने पे हो अक़्स तेरा,
हर महफ़िल में सुनी जाये, मुझे वो कहानी कर।
लय में पिरो जाये जीवन का हर छंद मेरा,
इक सुंदर गीत बनूं, तू ऐसी मेरी ज़िंदगानी कर।
इस ज़ीस्त में जपता रहूँ, हर पल बस नाम तेरा,
सूखे न भक्ति का दरिया, तू ऐसी मेरी बागबानी कर।-
सब आपकी कृपा है, आज तक जो भी हुआ है,
मेरे हँसते हुए चेहरे की वज़ह बस आपकी दुआ है।-