Rahul Yadav   (राहुल यादव 'निशब्द')
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Joined 7 March 2020


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Joined 7 March 2020
5 JUN AT 20:21

सुनो अमुक! आज की रात बहुत ही खास है,

उसने जीता दिल सभी का, खिताब विराट के अब पास है.....

लम्बे सालों की तपस्या, जी तोड़ मेहनत रही,

अपने इरादे से न तनिक भटका, सफलता की उसको आस है.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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22 MAY AT 11:25

सुनो अमुक! खुद की जुबान पर रोक लगाना अच्छा है,
पर बोलना क्या है?
ये तो पता ही नहीं.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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15 MAY AT 20:42

अमुक हमारी खामोशियों को मेरा भी जवाब समझो,

कहां है कितना नफा - नुकसान, मेरा भी हिसाब समझो.....

हम खुद से बदलते हैं हुलिया एवं हाल ए दिल अपना,

हम हैं अपनी मर्जी के धनी, मेरा मन भी नवाब समझो......
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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10 MAY AT 3:22

अमुक ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा कुछ इस तरह जारी है,

         आज हाथ में सबकुछ है तेरे, लेकिन कल लाचारी है.....

उड़ो ना इतना कि ऊंचे आसमान से फिर गिरना पड़े,

         आज औकात में हूं मैं बेशक, कल तेरी भी तो बारी है.....
#मेरीकलमसे 
#राहुलयादव 
#निशब्द

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7 MAY AT 11:29

सुनो नामुराद पाकिस्तान, तुम एक मारोगे हम चार मारेंगे, 

       तुम करते निहत्थों पर दुस्साहस, हम फिर शिकार मारेंगे.....

हमारी सहनशीलता को हमारी तुम कमजोरी समझते हो,

       उठाओ आंख तो जरा इधर, सुन वे! तुम्हें हर बार मारेंगे.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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4 MAY AT 12:56

समय गुजरता रहा इस घटना के १० साल बाद एक युवा जो स्नातक का छात्र एवं एक होनहार लड़का था उस समय उसकी उम्र लगभग २२ वर्ष रही होगी, किन्हीं घरेलू कारणों से उसका विवाद अपने सगे चाचा से हो गया उस चाचा ने उसे कानूनी रूप से नामजद करा दिया। कानूनी पचड़े, भाग-दौड़, छांव - धूप, समाजिक एवं पारिवारिक अपमान ने उसे अन्दर से तोड़ दिया, अगला कदम उसने वही उठाया जिसमें इस गांव के पहले भी दो व्यक्ति असफल हो चुके थे, उसने आत्महत्या को चुना वह इसमें सफल भी हुआ एवं जीवन के क्षेत्र में हमेशा के लिए असफल हो गया।
अब सवाल यह उठता है कि इस समाज ने उसे क्या सिखाया और क्या दिया, जबकि समस्याएं और समाधान दोनों थे ना, अब विचार करने योग्य बात यह है कि समाज में जो पहले हुआ उसने वही देखा, सीखा एवं उसने उसी को अपनाया भी, हमारा समाज ही हमारा प्रतिबिंब है, इति।
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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4 MAY AT 12:44

जीवन जीने की सबकी अपनी-अपनी कलायें है, यह समाज ही हमें तैयार करता है और उसी समाज में रहकर हम अपने जीवन का निर्वहन करने में लगे होते हैं, जब कभी कोई व्यक्ति उस समाज से हटकर चलने की कोशिश करता है या यूं कहूं कि उसके मन-मस्तिष्क में जब विकृति आ जाती है तो समाज से उसका किरदार अलग दिखाई देने लगता है। फिर वही समाज उसको ग़लत समझने लगता है, माना कि वह और उसका आचरण उस सामाजिक दृष्टि से भिन्न है जिसमें वह अभी तक रहा, परन्तु अगर व्यवहारिक नजरिए से देखें तो पायेंगे कि यह जो भिन्नता आई है कहीं ना कहीं उसी समाज का उसमें हाथ है।
एक उदाहरण से समझते हैं एक गांव था जिसको बने हुए लगभग १८० साल हुए थे और उस गांव में सभी लोग उसी रीति-रिवाज से आज भी रहते थे बस कुछ छिटपुट बदलाव के साथ, उस ग्राम में कभी किसी ने कोई आत्महत्या नहीं की थी जबकि आसपास के गांवों में ये बातें सालों में हो जाया करती थीं, इस गांव के लोग बैठकर बाहर या घरों में इन पर चर्चाएं करते रहते थे, इन सब बातों का यह असर हुआ कि कुछ अरसे बाद इस गांव में भी दो व्यक्तियों ने आत्महत्या की कोशिश की पर वह संयोगवश बच गये, इन दो घटनाओं ने पूरे गांव को झकझोर दिया। क्रमशः......
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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2 MAY AT 19:49

एक महकशी को नित्य सेवन करने की आदत निराली है,

कोई मिल जाये उसे बेवड़ा साथी, हरकत नित्य वाली है.....

पीने वाला भी समाज को सुधारने की कवायद करता है,

जबकि देखा जाये सच में ये सब, आदत पिटने वाली है.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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1 MAY AT 13:07

अमुक मुझे पता है! मैंने आस्तीन में सांप पाले हुए हैं,

हम भी कोई कच्चे खिलाड़ी थोड़े, समय पर पकड़कर जहर से गरारे हुए हैं.....

वह अगर जहर उगले, गर उस ज़हर के शोषित बनो,

हद तक करता विष को सहन, फन को कुचलकर दांत हमने निकाले हुए हैं.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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24 APR AT 13:30

पहलगाम का हादसा बहुत ही ह्रदय विदारक है,

धर्म के नाम पर किया हमला, घृणता का कारक है.....

क्या दोष था उन बेचारे घूमने गये पर्यटकों का,

क्या सरकार बस लीपेगी, अब हमला ही उपचारक है.....
#मेरीकलमसे
#राहुलयादव
#निशब्द

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