जब अँधेरा चूमता है प्रतीक्षा को
तो इस सदी का सर्वश्रेष्ठ सूर्योदय होता है.-
बस
उतना सा प्रेम
चाहिए तुमसे मुझे
जितना
सूरज देता है रोज़
धरती को
फूल देता है रोज़
तितली को
झरना देता है रोज़
नदी को
और उतना
जिसके बाद रह जाऊँ
बस रत्ती भर खाली
जिसमें तुम्हारे
आने की प्रतीक्षा सदियों तलक
बची रहे,,-
आप जिस चीज को पाने के लिए
अत्यधिक उत्तेजना दिखाएंगे
आप अंततः उस चीज का अधिक
मूल्य चुकाएंगे।-
और जानता है
ये प्रेमी मन भी
प्रेम 'प्रतीक्षा' चाहता है
और संगम 'तपस्या'
•••••[पूर्ण अनुशीर्षक में]•••••-
शमा इंतजार में जल रही परवाना नही आया
जो प्यास बुझाए मेरी वो मयख़ाना नही आया
सरे रात दरबाजा खुला रहा उसकी आमद को
सारा शहर झाँक गया मेरा दीवाना नही आया
रूह की हरारते बिस्तर की सिलबटें बढ़ती रही
अंजाम तक मेरे ज़िस्म का अफसाना नही आया
सर्द रात का बहाना कर निकला ना वो घर से
हुस्न की तपिश का उसको अंदाजा नही आया-
इक चाँद की चाहत में पागल हूँ मैं
उसी के इश़्क में अब तो घायल हूँ मैं
उसकी आवाज़ का जादू कानों में है
लगता है उसके पैरों की पायल हूँ मैं
हर रात सिर्फ़ उसको याद करता रहा
उसकी हर इक अदा का कायल हूँ में
सिर्फ़ इक बार देखा मुझे मुड़कर उसने
ऐसा लगा उसके दिल में श़ामिल हूँ मैं
वो ना मिलती तो फ़ूट - फ़ूटकर रोता
वरना फ़िर किस बात का बादल हूँ मैं
"कोरा कागज़" समझ पास बुला ले मुझे
वो स्याही मिरी और उसकी कलम हूँ मैं।-
मौन प्रतीक्षा, सजल नयन ले क्षितिज तक जाती हूँ
नीरवता को चीर क्षितिज की तेरी पग-ध्वनियां सुन आती हूँ-