Shivesh Srivastava   (peaceful_crime)
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Joined 15 January 2018


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26 OCT 2023 AT 18:28

अधरों पे पहरा दे रहे स्याह दरबान जँचते ख़ूब हो
दुनिया से बचाते आ रहे मग़र मुझसे बचा पाओगे क्या ?

मेरी उल्फ़त चाहे नकार दो मेरे यत्न से इंकार लो
होठों पे उसके खेलती तबस्सुम को रोक पाओगे क्या ?

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21 OCT 2023 AT 17:04

नींद की आहट से अँखियाँ स्वप्न में घुल सो गईं

स्वप्न की आहट हुई तो नींद धूमिल हो गई
            

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14 OCT 2023 AT 16:26

फ़िज़ूल का इश्क़ सिर्फ़ पाग़लपन है 'शिवि'
हाँ, पर पाग़ल को पाग़लपन ही शोभा देता है

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11 OCT 2023 AT 10:06

ह र बा त में क्यूँ क्यूँ ह र बा त में स वा ल क र ती है

कै से ब ता ऊँ वो क्या मे रे दि ल का हा ल क र ती है

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8 OCT 2023 AT 16:06

न तक़दीर से, न ही तस्वीर से राहत पाएंगे
रू-ब-रू सनम से होंगे, होश में तभी आएंगे

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6 OCT 2023 AT 21:11

तिरा दीदार तिरी सोहबत मिरी ख़ुश-नसीबी होगी
तू क्यूँ ख़ामोश है तुझे पाने में इक उम्र लगी होगी

इतना तरसे तिरी निगाह को 'शिवि' तुझे क्या इल्म
तसव्वुर-ए-जानाँ में शामिल मिरी ज़िन्दगी होगी

तिरे होठों के तबस्सुम खिल रहे मिरे अश्क़ों में जानाँ
मिरे अशआ'र मिरी रूह को सदियों की तिश्नगी होगी

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5 OCT 2023 AT 16:28

वो छोटी सी रातें

उसमें जी भर बातें

मन के सन्दूक में रखी

वो पल पल की फरियादें

वो सारी बातें सारी यादें

तुम भूल गए

तुम भूल गए

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3 OCT 2023 AT 19:14

निगाहों से गुनाहों का सिला 'ग़र मिल गया होता
अंधेरे को कोई रौशन रहगुज़र मिल गया होता
कहाँ जाऊँ तुम्हारे बिन किधर देखूँ कहाँ भटकूँ
मोहब्बत को तेरे दिल में कोई घर मिल गया होता

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2 OCT 2023 AT 21:28

देखा था जब से उसे केवल देखते रह गए
उसकी आँखों की नरमी से दिल सेंकते रह गए
गीत तो बहुत सुने पर सिर्फ गुनगुनाते रह गए
ज़िन्दगी के सफर में हम फिर अकेले रह गए

हुआ था बेकाबू दिल पहली बार इस कदर
जाने क्या लिखा था मुकद्दर में क्या पता
उसकी बातों की आदत बस पालते रह गए
ज़िन्दगी के सफर में हम फिर अकेले रह गए

हुई थी मनमानियाँ बेख़ौफ इस दिल में
चला था दौर-ए-इश्क इक ग़ैर की महफ़िल में
अनजाने से ख़्वाब दिल में पालते रह गए
ज़िन्दगी के सफर में हम फिर अकेले रह गए

सोचा करूँ इजहार-ए-इश्क कि रुकूँ कि क्या करूँ
नहीं है वक्त ज्यादा अब दर्द बढ़ता है क्या करूँ
करके फ़रियाद रब से बस बाट जोहते रह गए
ज़िन्दगी के सफर में हम फिर अकेले रह गए

स्वीकारा नहीं तोहफ़ा हमारा अस्वीकार कर दिया
कोई बात तो नहीं मगर दोस्ती भी भुला दिया
चले थे पाने जिसे 'शिवि' उसे फिर ढूँढते रह गए
ज़िन्दगी के सफर में हम फिर अकेले रह गए

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30 SEP 2023 AT 18:48

पहले की तरह फिर से ...

( कैप्शन में )

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