वो हमको पास अपने, यू बुलाकर चल दिए
जैसे सुलगती आग में, वो घी गिरा कर चल दिए |-
सच्चे प्यार पर हमें बड़ा गुमान था।
उन्हें प्यास थी और हमें प्यार था।
कही और वो प्यास बुझाने चले गए।-
सोचा न था इश्क़ में ऐसी भी एक कमी निकलेगी
कि उसकी हवस मेरे इश्क़ से बड़ी निकलेगी
जितनी आसानी से वो मुझे मिली थी,मैं जानता था
एक ना एक दिन वो शख्श बेवफ़ा निकलेगी
वो जिस तरह गुज़ार रही है जिंदगी आजकल
लगता है बारी बारी सब के हाथ से निकलेगी
मसला ये हैं उसको हर एक फूल का रस चखना है
उसका पेट भर भी जाए पर आँख प्यासी निकलेगी
एक दर्द ये की वो छोड़ कर चली गई मुझ को
एक दर्द ये की वो कभी दिल से नही निकलेगी
उसकी मासूम सी सूरत ने ली है कई मासूम जाने "मुनीष"
तफ़तीश 'गर होगी तो मुझ सी हज़ारों जिंदा लाशें निकलेगी-
शायद तू कभी प्यासी फिर मेरी तरफ लौट आये
आँखों में लिए फिरता हूँ दरिया तेरी खातिर-
स्नेह को स्नेह चाहिये
देह को देह चाहिये
प्यासी प्यासी धरती है
बरसता मेह चाहिये-
तेरे ना होने से हर ओर उदासी है
ये अंखियां बस तेरी दीद की प्यासी है...
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आज फिर ख्वाईसे ढलते शाम के साथ बह गयी।
आज फिर एक रात हमारी प्यासी रह गयी।-
🙏 you have come to your shelter,,(जोगन) jogan by becoming my Lord Krishna🙏,,a thirsty Soul..
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अभी हमको जीना है
तेरा हर अश्क पीना है
खुशियों में खोना है
बस तेरा होना है-