पूछ कर मेरा पता बदनामियां मत मोल ले
ख़त उड़ा दे हवाओं में पैगाम मुझे मिल जायेगा-
कभी फुर्सत मिले तो गरीबों का भी हाल पूछ लेना ।
ना जाने वो क्या सोच रहा हो ,
कभी उसका ख्याल भी पूछ लेना ।।
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कब तक पकड़े रहूँ पूँछ प्रेम की
होती नहीं है अब पूछ प्रेम की
प्रेम की दाढ़ी में कोई तिनका नहीं
ऊँची रहती है सदा मूँछ प्रेम की-
कभी मेरा हाल भी पूछ लिया करो
मुझसे नहीं तो..
अपने आप से ही सही।
मैं तो फ़िर भी झूठ बता जाऊँगा,
आदमज़ाद हूँ..
मगर तुमसा संगदिल नहीं।
- साकेत गर्ग
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इन हवाओं से पुछ !
ज़मीन को थामके भी आसमान में बहकने का मजा़ क्या है |
Inn hawao se puch
Zameen ko thaamke bhi Aasmaan me behakne ka maza kya hai.-
जो पूछे, उसको ना पूछे,
जो ना पूछे, उसकी पूछ।
समझे राज़ जो दुनिया का ये,
ऊंची रहती उसकी मूँछ।
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बरसों बीत गए मन मंदिर को छोड़,
न शांत हुए न मौन । दंभ के घंटे बांधे।
पूछ रही है आत्मा सच्चे नाते तोड़,
आखिर तुम हो कौन ?? रंग के रिश्ते बांधे।
खुद की सेवा खुद की चिंता। सब का मालिक
पाठ पढ़े तुम गजब चुनिंदा। तू बनता है तेरा
भाग रही पूरी दुनियां तेरा मालिक कौन?
तू भी पीछे दौड़ । पूछ रही है आत्मा,
पूछ रही है आत्मा आखिर तुम हो कौन,
आखिल तुम हो कौन ?? बरसों बीत गए,
बरसों बीत गए न न शांत हुए न मौन।
मन में गूंजा ओम पूछ रही हैं आत्मा
हांथ उठे नहीं खुद की खातिर। ...............??
झांक रहा है ब्योम ।
पूछ रही है आत्मा आखिर
तुम हो कौन??-