मैं माटी की मूरत, तुम प्राण पिया
मैं स्थिर ओष्ठ, तुम मुस्कान पिया
मैं बेकल विचार, तुम ध्यान पिया
मैं मौन प्रार्थना, तुम वरदान पिया
मैं निष्प्राण भू, तुम अंशुमान पिया
मैं अमावस रात, तुम चंद्रभान पिया
मैं सरगम सी, तुम मधुर गान पिया
मैं मिथ्या, तुम सत्य का भान पिया
इससे बढ़कर, क्या प्रेम प्रमाण पिया
मैं तुम में, तुम मुझ में अंतर्ध्यान पिया!
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