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हैं नमन उन वीर दल को
मर मिटे माटी व कल को।
जब जवानी उठ, चली है
पूर्ण आजादी मिली है।।
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भला कैसे 'न' कहता मैं,
लगी थी खूब बिंदी में।
रची थी हाथ में मेहंदी,
लिखा था नाम हिंदी में।-
कामरूप छन्द-
हर छोटी बात, क्यों हृदय में, लेकर बैठे हो
जरा से जीवन, में क्यों बंधु, खुदसे रूठे हो
जब खुश रहोगे, सुख रहोगे, नहीं क्रंदन करो
चार लोगों की, बाते छोड़, आत्म चिंतन करो-
हरिप्रिया घनाक्षरी छन्द-
अस्मिता पर देश की आंच नहीं आने दी,
दुश्मनों में भर दिया भय का कंपन है।
भारतीय सेना का युद्धकौशल देखकर,
विश्व के समस्त देश हुए थे सन्न है।।
विजयी ध्वज लहराया अपनी शान से जहाँ,
पाक की कटी गर्दन आज भी दफन है।
निन्यानवे के हिन्द शेर जो लड़े थे उन,
करगिल के वीरों को शत् बार नमन है।।-
कितने दिनों से न रात, न सुबह वक़्त पर हुई
कौन पहले बात करेगा, बात इस शर्त पर हुई-
हर दुख में साथ खड़ी है माँ,
हर सीरत में ईश्वर है माँ।
आंखों की बस इक चाहत है,
पास रहे माँ तो राहत है।।
माँ से दिन है, माँ से ही रात,
माँ से होता नित दिन प्रभात।
माँ जब हँसती, लगता वसंत,
माँ से सारी खुशियां अनंत।।
हाथों की हर लकीर है माँ,
हर साँसों में बसती है माँ।
हर दुख में साथ खड़ी है माँ,
हर सीरत में ईश्वर है माँ।।-
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कागज़ पे लिख के उसने,
इज़हार किया अपने दिल का।
अधरों पर रखी जुल्फें है,
चेहरा यही है कातिल का।
सात हज़ार का बिल देखा तो,
रंग भाप लिया जाहिल का।
कहा ऑफर हमको है मंजूर,
पर कैश बराबर दो बिल का।-
सबके जीवन में खिलें,
वसंत के भव फूल।
शारदे की कृपा रहें,
हो वसंत अनुकूल।।-
पहला कदम खुशियों भरा,
तुमने रखा इस द्वार।
दूजा पड़ा तो घर हुई,
हर रंग की बौछार।।
होगी शरारत जब चले,
बिटिया कदम दो-चार।
जीवन कदमों का योग है,
तुम हर कदम हो पार।।-