घर से ही मुड़ जाते है जो 'रास्ते'
एक 'चौराहा' तो यही है 'उम्मीदों' का
तो फिर, किस चौराहे 'और' भटके भला हम!
बदलता 'वक़्त'....बदलते 'मायने'
'लाठी' वही है आज भी
और 'भैस' भी वही
बस फर्क इतना है कि
अब भैस किसी की हो गई
और लाठी किसी और कि...
'वक़्त' के साथ बदलते है समीकरण
'अपने' भी और 'पराये' भी
'स्थिर' कुछ भी नही
सब कुछ 'चलायमान' है
'जतन' में जिसकी
तुमने किये 'जतन' इतने
थोड़ा और कर लेते
तो वो 'रास्ता' यकीनन
सीधा ही चला जाता
अपनी मंजिल पर....-
अखिलेशवा को मुलायम डाटत ह
डाटत ह कभी देखो हड़कावत ह
जल्दी बतलावो लल्ला साइकल
पंचर कहाँ कर लाये तुम
अखिलेशवा डरत कभी रोवत ह
बोले बुआ संग हाथी बैठा ल्याये हम।
😉😂😂😂😂-
संपूर्ण विश्व में भारत एक अनूठा देश हैं
यहां CM हार न जाए इसलिए तनाव में हैं
CM को हराने के लिए PM तनाव में हैं
और जो कुछ नहीं हैं वो दूसरे को CM
न बना पाने के कारण तनाव में हैं
किन्तु एक सुखद बात भी हैं
जिसे आप परिवारवाद भी कह सकते हैं
क्योंकि भले ही ये त्रुटिपूर्ण हो
किन्तु इसे सही सिद्ध किए जाने के
पूरे प्रयास कार्यरत हैं
और जो कार्यरत हैं वो भी तनाव में हैं
क्योंकि इस देश में लोकतंत्र हैं
और यहां केवल नागरिक ही तनाव में हैं
हां आजकल बिचौलिया भी तनाव में हैं
किन्तु आपको और मुझे ये समझना होगा कि
प्रतिनिधि का चुनाव हमें करना हैं
कोई परिवार, कमेरे में बैठे लोग
या सोशलमिडिया नहीं
और जब ऐसा हो पायेगा
तब आप देखेंगे कि
कैसे नेतागण भी तनाव में हैं-
जो गुनहगार हैं ज़माने के
नाम पर हस्तियों के बैठे हैं
दिलों में दुश्मनी की आग लिए
बर्फ की कश्तियों पे बैठे हैं।-
आज़ादी....
वैसे सालो पहले इसे हासिल किया था
आज भी कुछ लोग इसके नारे लगा रहे है
शायद सिख कुछ कम है इन लोगो की
या फिर सालो से सिख रहे,इसलिये हो रहा है
ये कुछ बनाना भी चाहते है जिन्दगी मे
या कुछ बनने से इन्हे कुछ लोग रोक रहे है
सालो किसी परिवार की गुलामी कर रहे
और लोकतंत्र होने की दुहाई दे रहे है
शायद आज़ादी का मतलब नही जानते होंगे
या फिर अज़ादी को स्वैराचार माने हुए है
देश आगे बढ़ाने की बात हो तो रही है,लेकीन
लोग खुद्को पिछड़ा बताने पे तुले हुए है
वैचारिक लढ़ाई होति तो लढ भी लेते उनसे
लेकीन ये पारिवारवाद देश को खाए जा रहा है
शादी करके कोई सोनिया गांधि हो गया, लेकीन
फिरोज खान से शादी कर खुदको गांधि कह रहा है
सुधरो मेरे देश के जवानो अब वतन बुला रहा है
तुष्टीकरण की राजनिति ने दम तोड दिया है
अब सभी इस देश की संविधान को मानेंगे
लोकतंत्र को मजबुत करने का अवसर मिल गया है
-
परिवारवादी पार्टियों के परिवारों को वह पार्टियाँ भी मदद करती है व अवसर देती है जो परिवारवाद के विरोध का राग अलापती है तथा झंडा धोती है।
-
भाई भतीजे भी हुजूर के ही हैं
है ना..
धन्य हैं हुजूर, जो स्वयं अपनी आलोचना कर रे
😛🤭🫰🫰-
मैं अब आहिस्ता आहिस्ता समझ रहा हूं,
लोग क्यूं...
अचानक पंखे से लटक जाते है।-