है शांत तो वो कहलाये श्री राम!
हुए उग्र तो कहलाये परशुराम!!-
धर्म ध्वजा के स्तंभ बनकर।
खुद ही ब्रह्म चले आये।।
शास्त्रो की बात करने वाले।
रक्षा में शस्त्र उठा लाये।।
ब्रह्म होकर भी जिसने।
इंसानों की तरह कष्ट उठाये।
करके राजतंत्र व्यवस्थित ।
उन्होंने शिव को शीश नवाये।
ऐसे प्रतापी स्वरूप को ।
मेरा दिल पुनः पुनः स्तुति गाये-
शस्त्र अस्त्र का ज्ञान समेटे, कर्म काण्ड का ज्ञान समेटे
चले हाथों में वो फरशू थामे, शत्रु कटे जो आगे आवे।
सर्वस्व जीत कर दान दे दिया
सारे शास्त्रों का ज्ञान दे दिया
परशु के आगे कोई टिक ना पाया
दादा परशुराम को मैने शीश नवाया।
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जिनका शौर्य अपार, शस्त्र शास्त्र के वो धाम हैं,
नारायण के अवतार वो भगवान श्री परशुराम हैं।
वैशाख शुक्ल तृतीया को अवतरित हुए परशुराम हैं,
शिव जी के प्रदत्त परशु के धारी श्री परशुराम हैं।
भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
जय श्री परशुराम जी 🚩🚩
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"छप्पय छन्द"
जिनका शौर्य अपार, परशु है कर में राजे।
नारायण अवतार, अंस सारंग विराजे।।
करें पतित संहार, धर्म का बनते रक्षक।
दुष्टों का कर नाश, बनें वसुधा संरक्षक।।
न्यायप्रिय धैर्यवान जो, शस्त्र शास्त्र के धाम हैं।
परशुराम भगवान को, हम नित करें प्रणाम हैं।।-
ज्ञानवान बलवान, विष्णु के जो अवतारी।
परशुराम शुभ नाम, धरित्री के दुखहारी।।
शुक्लपक्ष वैशाख, तृतीया तिथि अति पावन।
हरने महि सन्ताप, वंश भृगु के उजियारी।।-
ब्रह्मा के ये वंशज हैं पूर्वज जिनके परशुराम
ज्ञानी तो ये जन्म से होते करते न इसका अभिमान
धर्म अधर्म का रखते ज्ञान नीतिशास्त्र के ये विद्वान
डरना तो ये जानें न वक्त आने पर दे दें प्राण
चाणक्य हो या दधीचि इस बात का दिया प्रमाण
बात आई जब आन पर तो रावण ने भी रखा सम्मान
ब्रह्मा के ये वंशज हैं पूर्व जिनके परशुराम
ज्ञानी तो ये जन्म से होते करते न इसका अभिमान
चारों वेदों के ये हैं ज्ञाता भूले न इनका इतिहास
तुलसी, बाल्मिक, व्यास या फिर वो हों कालिदास
इनके हम सदा ऋणी रहेंगे युगों–युगों तक दी पहचान
ब्रह्मा के ये वंशज हैं पूर्वज जिनके परशुराम
ज्ञानी तो ये जन्म से होते करते न इसका अभिमान।
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हे भृगुवंशी,रेणुका नंदन
हे प्रतापी जामदग्न्य जगो,
है तू विष्णु ,शिव भी तू है,
हे परम प्रतापी परशुराम जगो.!!
है चारो ओर हाहाकार मचा,
हर ब्यक्ति आज सहस्त्रबाहु बसा,
इस धरा को मुक्त कराने को,
हे परशु-धारी परशुराम जगो..!-