जाते वक़्त
मुड़ कर
बार-बार देखना
एक अधूरे
मिलाप की
छोटी सी परिभाषा है।-
सौरभ तिवारी "शांडिल्य"
(पंडित सौरभ तिवारी)
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।। आत्मसम्मान: प्रधान्यम् ।।
🌸🤍राधे राधे 🤍🌸
जय श्री कृष्ण🙏🙏
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये पर... read more
🌸🤍राधे राधे 🤍🌸
जय श्री कृष्ण🙏🙏
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Joined 14 September 2019
24 JUL AT 14:41
23 JUL AT 11:53
रोक कर बैठे हैं कई समंदर आँखों में,
दगाबाज़ हो सावन,
हम खुद ही बरस लेंगे..!!-
20 JUL AT 11:42
सितारों आओ मिरी राह में बिखर जाओ
ये मेरा हुक्म है हालाँकि कुछ नहीं हूँ मैं-
20 JUL AT 10:39
वजह पूछने का मौका ही नहीं मिला,
वो लहजा बदलते गए और हम अजनबी होते गए ...!-
19 JUL AT 10:10
मौत के होते हुए इंसान में इतनी अकड़ है,
जरा सोचो अगर मौत न होती तो
यह दुनिया कितनी गुरूर से भरी होती..-
18 JUL AT 14:35
सत्य सुगंध और सादगी फैलती भले धीरे-धीरे है मगर जाती बहुत दूर तक है
-
11 JUL AT 18:55
ईंटें सिर पर, सपने दिल में थे,
पर दोनों का वज़न बराबर नहीं था।-
8 JUL AT 18:22
ढाई अधूरे अक्षर में सिमटी सारी कायनात।
रहने दो न समझाओ, 'प्रेम' होता है क्या जनाब।-
28 JUN AT 12:03
खो देने के बाद ही ख़याल आता है.....
कितना कीमती था (समय, व्यक्ति और संबंध )-