NITESH GOUTAM   (Goutam Nitesh)
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Joined 17 June 2021


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Joined 17 June 2021
12 MAY AT 10:14

मतलब मन, शरीर!
और आत्मा से,
सदा—सदा के लिए,
शुद्ध हो जाना!!

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11 MAY AT 17:21

हरदम समझाती रहती है,
हर वक्त कुछ बताती रहती है,
अपनी मुसीबतों को छिपाती रहती है,
और मेरी सबको याद दिलाती रहती है,
वादा अपना हरदम निभाती रहती है,
सपने में हर रोज आती रहती है,
दूर होकर भी अपनी उपस्थिति जताती रहती है,
गर पास हूँ तो सर पर हाथ फिराती रहती है,
माँ समझाती रहती है!
माँ सदा समझाती रहती है!!

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10 MAY AT 22:11

हमारी माँ बहन बेटियों के
सिंदूर मिटाने वालों को
हम कभी ना माफ करेंगे,
चाहे थोड़ा–थोड़ा रोज करें
पर उनको इक दिन पूरा साफ करेंगे,
देंगे दोषियों को ऐसी सजा
कि, वो जिंदा रहते तो क्या?
जहन्नुम में जाकर भी पश्चाताप करेंगे,
उनकी तरह हम आम जनमानस को मारकर
गलती से भी ना कोई पाप करेंगे,
ऐसा और कोई नहीं बल्कि मिलकर
हम और आप करेंगे,
अब चाहे जो हो जाए
पर देश के दुश्मनों को
पूरी तरह साफ करेंगे!

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9 MAY AT 0:16

हमारी है जो यह देश की सेना,
उसके बल का क्या ही कहना,
चाहे रात जम चुकी हो,
चाहे श्वास थम चुकी हो,
देश की आन ना झुकने पाए,
दुश्मन कोई ना घुसने पाए,
इसलिए सरहद पर फ़ख़्र से उठे हैं सर,
तब कहीं जाकर हम मना पा रहे 
हर त्यौहार सुरक्षित अपने घर,
जिनकी बहादुरी के समक्ष दुश्मन!
सर झुकाने को हो जाता मजबूर,
समर्पित समस्त देशवासियों को
जारी यह ऑपरेशन सिन्दूर!!





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31 DEC 2024 AT 19:29

वादा तो कर लिया, पर निभाओगे कब? 
तेरे इसी इंतजार में, कहीं सांसें न जाएँ थम?
रहेगा मुझे हरदम बस, इस बात का गम! 
कि मैं और तुम, फिर कभी हो ना पाए हम!!

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30 DEC 2024 AT 19:18

दूर होकर भी उसके पास होने का एहसास!

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25 DEC 2024 AT 12:36

पर प्यार करने की भी इजाजत नहीं है

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11 DEC 2024 AT 16:54

अंततः कुछ तो खोना पड़ेगा!

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10 DEC 2024 AT 20:00

अभ्यास का अभ्यास कर, तू होगा सफल विश्वास कर! 
निष्ठा से काम किए जा, अमृत न सही विश का घूट पिए जा! 
फिर भी कुछ तो ऐसा खास कर, चाहे जाकर दूर या कदमों के पास कर! 
पर निरंतर अभ्यास का अभ्यास कर! अभ्यास का अभ्यास कर!! 

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9 DEC 2024 AT 21:17

जब–जब वो मेरे पास आई,
दिल को ऐसा लगा की
दूर होने लगी तन्हाई,
अचानक इक दिन!
बाकी दिनों से अलग
जब वो मेरे करीब आई,
थोड़ा सा इठलाई,
फिर मुस्कुराई,
और मुस्कुराते हुए बोली
आप पधारिएगा जरूर
रविवार को है मेरी सगाई!!
मेरे दिल ने मुझसे बोला,
क्या इसी दिन के लिए?
खुद को अब तक था रोका,
कि अकस्मात् ही एक रोज!
वो हमसे कर लेंगे
यूँ बेवफाई, यूँ बेवफाई!!

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