उर प्रस्तर......
पर संगमरमर सा श्वेत,
शिल्पकारी से
अमूर्त भावों को
मूर्त रूप दे रही.....
भेद विज्ञान की छैनी
हाथों में लिए!!
विराम.... अलाभ ही..
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कलाकृतियों में
स्वयं की आकृति
प्रतिबिंबित...
वरन्
प्रति पल पद दल की
ठोकर हो जाती...वो!!
15.7.20-
मैं कोई पत्थर की मूरत नहीं हूं
जिसे तुम छूकर निकल जाओगे,
जिंदगी हूँ "जब तक सांस है साथ चलूंगा"
और हमारा साथ , सारा जमाना देखेगा...
तू फिक्र न कर जमाने की,
क्योंकि "दुनियां दीवानी" हैं दीवाने की,,-
कड़वाहट फ़ितरत हैं शराब की,
मधु मधुशाला से दूर रहता हैं,
ये दुनिया हैं झूठे मेज़बानों की,
वरना खुदा पत्थरों में कहाँ रहता हैं...-
संगीत सुनकर ज्ञान नही मिलता...
मंदिर जाकर भगवान नही मिलता...
पत्थर तो इसलिये पूजते है लोग..
क्योकी
विश्वास के लायक इन्सान नही मिलता...!!!-
माना मानता है जग, पत्थर की मूरत उसे..
पर कम नहीं मेरे लिए, वो खुदा की सूरत से-
संगीत सुनकर ज्ञान नहीं मिलता ,
मंदिर जाकर भगवान नहीं मिलता ,
पत्थर तो लोग इस लिए पूजते हैं..
क्युकी विश्वास के लायक
कोई इन्सान नहीं मिलता..-
आदमी और ईश्वर..
पत्थरों ने कभी ध्यान ही नहीं दिया
अवहेलनाओं और उलहानों पर ,
बस लुढ़कते गये
अपने गंतव्य की ओर
अंत में..ईश्वर बन पूजे गए !!
आदमी टीसता ही रहा
अवहेलनाओं से ,
उलझा रहा
डांट-फटकार से बचने के तरीकों में ,
अंत में..सिर्फ पत्थर ही बना !!
सुनों..लुढ़क रहा है वह अब तलक
बिना किसी गंतव्य के !!
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....🍃अगर
आप चाहते हैं कि
आपके जीवन में फूल खिलें,
तो फिर कांटों को भी
उतनी ही प्यार की नज़र से देखें।
क्योंकि फूल कांटों में ही खिलते हैं।
ज्योति अंधेरे में जगमगाती है।
पत्थर पर जब छेनी की चोट पड़ती है,
तभी मूर्तियां निर्मित होती हैं।
अगर पत्थर कह दे कि
नहीं, छेनी बर्दाश्त नहीं, काटो मत।
तो पत्थर, पत्थर ही रह जाएगा।
मूर्त्ति कभी नहीं बन पाएगा।
अगर जीवन में आनन्द चाहिए तो
थोड़ा दुःख सहना भी
जरूरी है
🙏😊
*_Have α Wonderful Day_*
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पता नहीं कैसे पत्थर की मूर्ति के लिए जगह बना लेते हैं घर में वो लोग जिनके घर माता पिता के लिए स्थान नहीं होता।
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