..जीवन एक यात्रा है।
यात्रा है..
अंधकार से प्रकाश की ओर;
व्यर्थ से सार्थक की ओर।
एक शब्द में: पदार्थ से परमात्मा की ओर।
जो बाहर तलाश रहे हैं, भटके हुए हैं।
लाख तलाशें, कुछ पाएंगे नहीं--
यहां तो केवल वे ही पाने में समर्थ हो पाते हैं
जो स्वयं के भीतर छिपे हुए
सत्य को पहचान लेते हैं।
यह यात्रा कहीं जाने की नहीं, लौटने की है।
जा तो आप बहुत दूर चुके हैं
अपने से दूर। वापस लौटना है अपने पर।
छोड़ देने हैं सारे स्वप्न, विचार, वासनाएं,
ताकि अपने पर आना हो जाए।
संसार नहीं छोड़ना है, स्वप्न छोड़ने हैं;
क्योंकि स्वप्न ही संसार हैं।
🙏🙏😊✨
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