Utkarsh Tiwari   (उत्कर्ष तिवारी✍️)
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अर्श से फर्श पर आने मे वक्त नही लगता!!
Joined 20 May 2020


अर्श से फर्श पर आने मे वक्त नही लगता!!
Joined 20 May 2020
1 JUN 2022 AT 2:16

खाक सा दिखने वाला क्या
कोहिनूर की चाह कर पाएगा ,

दिल के हर जज़्बात उसको क्या
बेबाक सुना पाएगा ,

किस्मत पर रहने वाला क्या
अपनी तकदीर लिख पाएगा ,

खुदा की हर दुआ को क्या
किसी और के पास देख पाएगा ,

धूल से धुन्ध्ले सपने को क्या
लाख मन्नतो से चमका पाएगा ,

हर बार साथ देने वाला क्या
अब अपना साथ दे पाएगा ,

खाक सा दिखने वाला क्या
कोहिनूर की चाह कर पाएगा..!?

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19 MAY 2022 AT 0:18

अब शब्दो से खेलना नही
जज़्बात लिखता हूँ,

चार दिन की जिंदगी मे क्यू मै अब
रुथ्ता हू

जो भी गम है दिल मे वो अब
बाहर फेकता हूँ,

क्यूँ डरता हूँ इज़्हार ए मोहोब्बत से
मै अब ये गौर करता हूँ ,

जाके उसके आंखो मे देख मै अब
ये बोलता हूँ,

क्या वो भी ये सोचती होगी
जो मै अब सोचता हूँ,

अब शब्दो से खेलना नही
मै जज़्बात लिखता हूँ...!!

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18 MAY 2022 AT 1:18

क्या मुशिकल थी वो रातें
कैसे उसने बिताई होंगी,

बस इक हाँ सुनने के लिये
उसकी रूह तक तरस आयी होंगी

हाँ या ना की कशमकश में
उसको न जाने नींद कैसे आयी होगी

मन मे निराशा के अन्धकार मे
क्या उमीद की किरण दिखलाई होगी,

क्या मुश्किल थी वो रातें
कैसे उसने बितई होंगी..?!

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15 MAY 2022 AT 1:00

क्या साथ रहेंगे वो,
जिनकी फरियाद किये थे वो
जिनसे हर जज़्बात जुडे थे वो
जीसने हर अवाज सुनी थी वो
जिनसे हर राज़ कहे थे वो
जिनके हम पास खड़े थे वो
क्या साथ रहेंगे?...वो!!

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14 MAY 2022 AT 23:09

#आज भी याद आती है #

वो अजनबियों से टकरान
फिर दोसत बन जान
वो हसना वो मनाना
आज भी याद आता है
.
वो रातों मे बाते करना
बिता हर लम्हा साझा करना
हर बात पर गाली देना,
आज भी याद आता है
.
वो दो साल बीत जाना
वो सबका बिछड़ जाना
हाँ आज भी याद आता है
.
वो पुराने पल
हाँ आज भी याद आता है...!!

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14 MAY 2022 AT 2:17

यूँ ही बहुत हसीन लगते हो
गर रोज़ थोड़ा हसा करो,
.
बात बहुत सी करनी तुमसे
गर रोज़ थोड़ा मिला करो,
.
शिकवा बहुत है तुमको हमसे
गर रोज़ थोड़ा गिला करो,
.
वक्त कम हैं मालुम हमको
गर रोज़ थोड़ा ठेहरा करो,
.
जज़बात बहुत है धड़कन ए दिल मे
गर रोज़ थोड़ा सूना करो,
.
यूँ ही बहुत हसीन लगते हो
गर रोज़ थोड़ा हसा करो..!!

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26 JAN 2022 AT 14:23

इस विरगाथा को क्या शब्दो में पिरोऊ
अल्फाज़ ही काम पड़ जाते है,
माटी को अमर करके खुद
कफन की चारदीवारी में कैद हो जाते है,
खुदगर्ज जमाने में भी अपने से पहले
अपनों के लिए लहू बहाते है,
न जीने का गुरुर ना मारने का खोफ
कभी आंख खुली तो कभी बंद कर जाते है,
शब्द आंसू बन कर बाहर आते है
जब यह जवान शहादत को गले लगाते है..!!



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25 JAN 2022 AT 15:12

पल पल बदलते लम्हों पर
आज कुछ तरस आया
कल जो किसी को खुशावाज़
करती थी
आज उसी में कुछ गुमसुम सा
मिजाज़ हो आय..
क्या राज़ है इस बदहवासी का
कभी पहले इल्म न हुआ
गर,
आज उसका भी कुछ अनसुना
सा जवाब आया..
फिर कुछ देर बाद जब होश आया
फिर,
इन लम्हों पर कुछ तरस सा आया..!!




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20 JAN 2022 AT 12:09

अच्छा खासा बैठे बैठे मैं
गुम हो जाता हूं

अक्सर मैं मैं नही तुम
हो जाता हू..!!

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18 JAN 2022 AT 17:20

कभी धुंध हटा कर तो दिखाओ
बहूत दिखा लिए है मुखोटी चेहरे
कभी अपना नकाब हाथ कर तो दिखाओ
बहुतों ने दिए है धोखे
तुम अपना बना कर तो दिखाओ
अरे क्या गिला करे इस जिंदगी का
तुम कुछ हसीन कर के तो दिखाओ
धुंध में लिपटा हुआ तेरा चेहरा
कभी धुंध हटा कर तो दिखाओ...!!



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