आपकी कविताएं
वही लोग पढ़ना / सुनना / समझना चाहते हैं
जिनकी कविताएं कभी किसी समय में
अधूरी रह गई थीं ,
सपनें
जो बीच रास्ते ही छूट गए
उन्हें आगामी पीढ़ियों को सुपुर्द कर
क्यों आश्वस्त हो जातें हैं हम ,
एक-दूसरे का पूरक बनना
कविताओं की पुरानी और अच्छी आदत है !!-
मेरी प्रथम कृति "मनसी..मन की बातें" को अपना स्नेह, मार्गदर्शन और समी... read more
सूरजमुखी होना भी आसान नहीं
सभी फूल
गुलाब नहीं हो सकते थे
इसलिए उन्हें बांट दिया गया
अनगिनत नामों में ,
न जानें क्यों
प्रेम पर एकमात्र आधिपत्य से
गुलाब हमेशा ही
इतराता रहा अपनी किस्मत पर ,
एक रईसी शान सदैव उसके साथ रही ,
लेकिन
गुलाब के प्रेमी क्यों भूल गये कि
इंतज़ार की मर्यादाओं में विकसित प्रेम
भले ही लाल रंग सा सुर्ख़ न हो
लेकिन सूरज सा सदैव खिला रहता है ,
सूरजमुखी होना भी
हर किसी के हिस्से कहां आता है ,
गुलाबों के हिस्से तो बिल्कुल भी नहीं ,
माना
सभी फूल गुलाब नहीं हो सकते
तो सूरजमुखी होना भी
हर किसी के लिए आसान नहीं,,है न !!-
छूटीं हुईं यात्राओं की कसक
यात्राएं
जो कभी पहुंच न सकीं
अपने-अपने गंतव्यों तक
क्यों अक्सर
उनकी भूल-भुलैयों में
भटकता रहता है मन
आजीवन !!
क्यों हर बार फिर
किसी अनकही कहानी की तरह
हथेलियों की रेखाओं में
लिखीं रह जातीं हैं
ताउम्र
उन तमाम
छूटीं हुई यात्राओं की कसक !!
हम-तुम करें भी तो क्या ,
इन अजनबी राहों में
हैं तो सिर्फ पथ के साथी ही
जो आवागमन के चक्र में
लगातार घूमते चले आ रहे हैं
न जानें कब से !!
-
बिखराव भी जरूरी है
कुछ चीजों को
कभी भी सिमटना नहीं चाहिए
जैसे - बारिश, आकाश और कविताएं !!
हरियाली के आगमन हेतु
जरूरी है बारिशों का बिखराव ,
जबकि आकाश का विस्तार
समेटे रखता है कितने ही ब्रह्माण्डों को !!
हमारी डायरियों में
कम से कम
इतने पन्नें तो होने ही चाहिए
कि आसानी से गिनें न जा सकें ,
क्योंकि अब
साहित्य लिखने से
कहीं ज्यादा जरूरी है
मन के संवादों का लिखा जाना !!
भीतर ही भीतर,, कहीं बहुत गहरे
कितना कुछ है
जो न तो जला, न राख हुआ
बस, मद्धम मद्धम सुलगता रहा ,
तुम शायद नहीं जानते
ये छोटी-छोटी सी सुलगन
असंख्य सूरजों को धधका रही हैं
न जानें कब से !!
कभी-कभार
बिखराव भी बहुत ज़रूरी है,,है न !!
-
स्क्रीन थामे लोग
रीडिंग-टाइपिंग, लाइक्स-कमैंट्स,
फोलो-अनफोलो,,,
हाथों में स्क्रीन को थामें
ये लोग चलते तो हैं
लेकिन कहीं नहीं पहुँचते,
बात करते तो हैं
लेकिन कोई सुनता नहीं,
रहते हैं कनैक्ट
सारी की सारी दुनिया से
लेकिन स्वयं से कटे-कटे से ,
या यूं कहें कि
जिंदगी सिमटती जा रही है
मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर में !!
हर क्लिक में पसरा हुआ है
अजीब सा अधूरापन,,
हर नोटिफिकेशन में एक शून्यता,,
मानवता सहेज दी गई है
किसी डिलीट फोल्डर में ,
जिसे कोई रिकवर नहीं करता !!-
ताकि
हमारे सपने
रहें थोड़े और अधिक हरे ,
इसीलिए भी जरूरी है
आंखों में नमी ,
ईश्वर
सुखों से अधिक
हमारे दुःखों में साथ रहता है !!-
प्रेम को बचाए रखने के लिए
एक हृदय
पत्थरों में भी होता है
तभी तो
उनके घर्षण से
उपजती हैं चिंगारियां
ताकि अग्नि को बचाया जा सके ,
इसी अग्नि ने ही
संभालकर रखा हुआ है
सूरज को
ताकि बारिशें सलामत रहें ,
बारिशों की
लंबी उम्र का राज
ग्लेशियरों के पास रहा ,
लेकिन वो
पहाड़ों को अपनी सत्ता सौंप
आजीवन निर्जन ही रहे ,
पहाड़ों को
कभी पत्थर मत कहना ,
असल में
वो इकट्ठा किए रखते हैं
ढेरों पिघलन
धूप की
जो आहिस्ता-आहिस्ता
बह निकलती है
नदियों के रास्ते ,
समुंदर भी
शायद इसीलिए खारे रहे आजीवन
कि नदियां छोड़ आती हैं वहां
अपने तमाम आंसुओं का नमक ,
प्रेम बचाए रखने के लिए
सभ्यताएं
ऐसे ही बनतीं-बिगड़तीं रहतीं हैं!!
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आत्मिक आश्वस्ति
ईश्वर को
शुरुआत से ही पता था
कि नहीं मिल सकते कभी
धरती और आकाश
इसलिए क्षितिज को गढ़ दिया !!
सूरज भी
कहां मिल पाता है निशा से ,
लाख कोशिशों में भी
घर तक पहुंचते-पहुंचते
सुबह हो जाती है ,
फिर भी वह रोज आता रहा !!
समुंदरों ने
कभी कोई कोशिश नहीं की
नदियों तक पहुंचने के लिए ,
नदियां
स्वत: ही चली आईं उस तक !!
बादल भी
कहां सहेजे रखते बारिशों को
बल्कि खुशी-खुशी विदा कर
हो जातें हैं आश्वस्त !!
वृक्षों से
यूं ही नहीं छूटते फूल और पत्तें,
आगामी बसंतों के लिए
त्याग ज़रूरी है !!
इतना ही कहना चाहूंगी
इंतज़ार कितना भी क्यों न हो,
जहां आत्मिक प्रेम है
वहीं आश्वस्ति है,,सुकून है,, संतुष्टि है !!
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तुम चिंता मत करना
सड़क के
एकतरफा उगा हुआ
ये नन्हा सा
पीले फूल का पौधा
भले ही किसी बागीचे का हिस्सा न बन सके,,
भले ही किसी का पसंदीदा फूल न हो सके,,
लेकिन
तुम चिंता मत करना ,
व्यर्थ नहीं है इसका उगना ,
कुछ हो,,या न हो ,
मेरे-तुम्हारे भीतर
यह जरूर बचाए रखेगा
अनगिनत पीले बसंतों को,,
अनगिनत कविताओं को,,
क्या इतना भी काफी नहीं !!-