नज़रों से ही...
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बेहतरीन प्रदर्शन दिया तुमने इस ज़िन्दगी के रंगमंच पर मुझसे दगा करके, मेरी नज़रो से गिर गए हो तुम,
एक मशवरा है मेरा, बुरा मत मानना, कोई नाटक कंपनी क्यों नहीं खोल लेते, इसी बहाने बहुत नाम कमाओगे |
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गज़ब का रिश्ता है नजरें और नसीब का,
नजरें उसे पसंद करती है जो नसीब में नही!!-
ऐसे तौल लेते हैं, नज़रो से कुछ लोग
ग़रीब के आभूषण, नकली लगे जिन्हें
वो अमीरो के खोटे ज़ेवरात को भी
खरा सोना मान लेते हैं।-
हर राह पर, हर चौराहे पर,
गिरता पल्लू संभालती हूँ,
नाख़ून की खरोच से बचने को,
नज़रो को नीचे कर चलती हूँ,
पापा आपके राज में,
अबला बन जाती हूँ!
भीड़ में चलने से घबराती हूँ,
गैरों के हाथ वक्ष दबोचते पाती हूँ,
दूजे की बदसूरती छुपाने को,
अंदरूनी खूबसूरती कैद करती हूँ,
पापा आपके राज में,
अबला बन जाती हूँ!
आँखें हैवानियत से कपड़े उतारती है,
उनकी बातें दिल घबरा जाती है,
खुद को खूबसूरती से सँवारती हूँ,
उसको खुद ढंक बाहर जाती हूँ,
पापा आपके राज में,
अबला बन जाती हूँ!-
समाये हैं नज़र में वो कुछ इस तरह साहिब,
की जिधर देखूं अक्स उनका नज़र आता है,
दूर नज़रों से हो तो दिल घबराता है हरपल,
देख लूँ एक नज़र तो दिल को सबर आता है.........-
कि उनकी नज़रो में तो हम ही हैं
पर "जुबां" पर किसी और का स्वाद है.....-
खो ही गए नज़रो में उसके,
कि चैन दिन रात अाता ही नहीं
एक नयी सी जो मुलाकात हुई है,
ये असर है कि जाता ही नहीं
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उदास नज़रो में ख़्वाब मिलेगें,
कभी कांटे तो कभी गुलाब मिलेंगे।
मेरे दिल की किताब को मेरी नज़रो से पढ़ कर तो देखो ,
कही आपकी यादें तो कहीं आप मिलेंगें !!-