तुम्हारी आँखे हैं या कोई अनसुनी दास्ताँ,
हर पल कुछ न कुछ बयां करती रहती है.......
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जब मुहब्बत के दस्तरख़ान पर बातों में मज़ा न रहे,
तो मुनासिब है की फीकी सी खामोशियां परोस दी जाए....।-
अगर किसी को प्यार पर यक़ीन होता है तो वो इतना टूट कर प्यार करता है कि प्यार दर्द बन जाता है.....
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इश्क़ मुक़म्मल हुआ है मेरा तेरे ही रूबरू आकर ,
तू हमनवां है तू हमनशीं है तू हमराह भी है मेरा,
है ज़िन्दगी क्या मालूम हुआ है मुझे तुझे अपना बनाकर,
तू आमाल है तू हश्र है तू क़यामत है तू मीज़ान भी है मेरा...
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मैं रहूंगी तेरे संग हमेशा तेरे दिल की धड़कन बनकर,
तेरी रूह में बस जाऊँगी तेरे जिस्म की तड़पन बनकर,
तेरी चाहतों को सवारूंगी तेरी आदतों को अपनाऊँगी,
तेरे हिस्से की हर खुशी अपने हाथों से सजाऊंगी,
बस इतना करना कि मुझे मेरे हिस्से का प्यार दे देना,
जो मैंने किया है तेरा वो बस मुझे मेरा इंतेज़ार दे देना,
तेरे लबों पे रहना चाहती हूँ तेरी हँसी की इक कतरन बनकर,
मैं तेरी रूह में समाना चाहती हूँ तेरे जिस्म की तड़पन बनकर....
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आज रूह भी पड़ी है ग़फ़लत में कि कैसा है ये दर्द मोहब्बत में,
भँवर चाहे जैसा हो थम जाता है सुना है ऐसी ताक़त है सनम की चाहत में....-
गर इश्क़ हैं ग़लती तो क़ुबूल है मुझे,
पर ग़लत तो मुझे तूने ठहराया है ना,
तूने तो उतार दिया अपने इश्क़ का भूत,
पर तुझे दिल में तो मैंने बसाया है ना,
क्या खुश रह पाओगे मुझे रोता देख कर ,
मेरी ख़ुशी बस तुझमें बसती है बताया है ना,
हाँ मानती हूँ कि थोड़ी ज़िद्दी , पागल हूँ,
पर ये भी तो मुझे तेरे इश्क़ ने ही बनाया है ना,
हाँ मानती हूँ गर इश्क़ हैं ग़लती तो क़ुबूल है मुझे,
पर इतना तो याद रख के ग़लत तो मुझे तूने ठहराया है ना...
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ये ख़्याल तुम्हारा मुझे हर पल बेचैन कर रहा है,
ये कम्बख़त दिल सिर्फ तेरी ख़ातिर मर रहा है,
बिन तेरे ये जिंदगी भी रुठी सी लग रही है आजकल,
तन्हा हूँ कुछ इस क़दर के जीने से भी ये दिल डर रहा है...
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टूटी नहीं हूँ अभी तुझसे इक उम्मीद बाकी है,
गर दिल दुखाया है तो उस बात की माफी है,
गलत हूँ मैं तो सज़ा देना मुझे उफ भी न करुँगी,
पर यूँ मुँह ना फेरों मुझसे चाहे जो भी नाराज़ी है...-