गर इश्क़ हैं ग़लती तो क़ुबूल है मुझे,
पर ग़लत तो मुझे तूने ठहराया है ना,
तूने तो उतार दिया अपने इश्क़ का भूत,
पर तुझे दिल में तो मैंने बसाया है ना,
क्या खुश रह पाओगे मुझे रोता देख कर ,
मेरी ख़ुशी बस तुझमें बसती है बताया है ना,
हाँ मानती हूँ कि थोड़ी ज़िद्दी , पागल हूँ,
पर ये भी तो मुझे तेरे इश्क़ ने ही बनाया है ना,
हाँ मानती हूँ गर इश्क़ हैं ग़लती तो क़ुबूल है मुझे,
पर इतना तो याद रख के ग़लत तो मुझे तूने ठहराया है ना...
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