नज़र पर नज़र का पर्दा है जनाब
दिल कहाँ आप बिन कहीं ठहरा है
और सभी वज़ह पूछते हैं हमसे
इस बेख्याली का..........
कैसे कहूँ उनसे आपकी नज़र ने
क्या सितम ढाया है
जो ये मुस्कान लबों पे आ ठहरी है
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दर्द की दवा प... read more
लफ़्ज़ खंज़र -सी लेकर मुहब्बत की बात करता है
पागल रकीब की पनाह में इबादत मेरी करता है-
“I drink so much that I get drunk, understand everything but remain silent, people who try to bring me down, I often stay with them.
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हवाओं की राह में ख़डी हुई कुछ वक़्त के लिए
अब इज़ाज़त है जहाँ जाना चाहो किसने रोका है......
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" तृण -तृण जीवन को बाँधा इक डोर से
हाँ बाँधा एक साये ने मुझे सब ओर से
कैसे कहूँ कौन है वो...
राही, हमदम, या हमकदम .......
कुछ भान नहीं.....
तृण -तृण जीवन को बाँधा इक डोर से
हाँ बाँधा एक साये ने मुझे सब ओर से
कैसे कहूँ कौन है वो.......
राही, हमदम, या हमकदम ".....-
खो गया है कुछ मिलता ही नहीं
अब तो ख़ुद से ही कोई रिश्ता नहीं ll
चकोर भी इंतज़ार करता था चाँद
अब तो चाँद से कोई रिश्ता नहीं ll
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कर ख़ाक गुजर गए है जिन राहों से
ना जाने क्यों रिश्ते चिलमन ढूँढ रहे-
साक़ि के चस्म-ए -मस्त ने मस्ताना कर दिया
ख़ुद शम्मा बन गए परवाना कर दिया...-