QUOTES ON #नीरस

#नीरस quotes

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20 DEC 2020 AT 8:43

हर मोहः से ज़िन्दगी आज़ाद हो गयी है
हालत पागलों सी यूँ आज हो गयी है,
जबसे ग़म से मुलाक़ात हुई है
ख़ुशी है के जैसे.. ख़्वाब हो गयी है,
कूकती थी दिल में क़भी मुहब्बत की कोयल
बहुत धीमी सी अब उसकी आवाज़ हो गयी है,
हर शय से अब नाराज़ से हो गये हैं
हालत मेरी यूँ.. तेरे बाद हो गयी है,
श.शश.. उसने चिलाना.. अब बंद कर दिया है
शायद बहुत तेज़ अब आग हो गयी है,
राख को छू के देखा तो यक़ीन आया
हक़ीक़त.. किसी की अब.. याद हो गयी है!!

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29 JAN 2021 AT 15:25

हाय , कितना नीरस यह जीवन !

पर्ण - पात धरा पर बिखरे
रही न उर  में  कोई  उमंग ,
पथ - प्रशस्त हो  न  पाया
चला  न    कोई  मेरे  संग ।
ऐसी  पतझड़ ऋतु आयी , पड़ा वीरान पुष्प बिन उपवन ।
                   हाय , कितना नीरस यह जीवन !

असंख्य रश्मियां क्षितिज पर
कितना सूना किन्तु आकाश ,
मनहर  सांध्य  की  वेला  में
कर जाता  हिय  को  उदास ।
देख अम्बर विहग विहीन , उद्वेलित हो जाता तन - मन  ।
                   हाय , कितना नीरस यह जीवन !

सबने  कहा  है  मधुमय  यह
कितना कोई बतला न पाया ,
है आरोह अवरोह आहों का
मैं केवल इतना समझ पाया ।
स्वार्थ से भरे इस जगत् में , कौन सुनेगा करुण - क्रन्दन ।
                  हाय , कितना नीरस यह जीवन !

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23 FEB 2021 AT 21:19

कौन कहता है मैं कविता करता हूँ?
सरस शब्दों में नीरसता भरता हूँ।

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30 DEC 2021 AT 17:46

जीवन नीरस वैराग्य भयो
भाए नहीं कछु मोए
काज एक सू दूसर बदलूं
पूरन एक न होए ।।
🍁💮🍁
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6 SEP 2022 AT 12:21

नीरस

रिश्तों का जो भी नाम हो, हर रिश्ते ने समझाया है।
कोई हमसे जुड़ा नहीं, यह जीवन बस मोह माया है।
हम फ़िर भी फ़र्ज़ निभाते हैं, उनके लिए कमाते हैं।
पर क्या रिश्ते हमारे समय और कमाई का मोल जान पाते हैं?
नीरस हो जाता है जीवन जब कोई भी ना समझ पाए,
न ही इंसान मिल पाता है और ना ही बीता समय फिर लौट आए ।
तो फ़िर सोचो और गौर करो, उद्देश्य क्या है? क्या चाहते हो?
स्वयं को खोकर कहीं,क्यों इतना वक्त बिताते हो?
खुद को भी थोड़ा वक्त दो,खुद से भी थोड़ा प्यार करो।
मौत आने से पहले तुम रोज़ रोज़ ना मरो।

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13 FEB 2019 AT 0:41

आज के ज़माने में लोगों को सच्चा प्यार रास नही आता
शायद उनके लिए ये ...
नीरस और बेरंग होता है
सच्चे प्यार का तो केवल एक ही रंग होता हैं
प्यार ...प्यार ..प्यार और प्यार

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22 AUG 2020 AT 16:34

हाल-ए-दिल किस कदर बयाँ करें
मसला तो कुछ यूँ है जनाब ;
उन्हीं की बाहोँ में,
उन्हीं से लिपट कर,
उन्हीं की फरियाद करनी है।

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15 FEB 2017 AT 15:34

अनगिनत रश्मियाँ
अपने अंक में समेटे हुए
यह एकवर्णी आकाश
कितना नीरस जान पड़ता है
साँझ के धुंधलके में उड़ते पंछी
कागज के किसी
काले धब्बे-सा आभास कराते हैं,
मेरे पास कई शब्द ढुले पड़े हैं
कलम की कूची से
इन्हें आकाश की नीरसता में
पोंछ दूँ,
ला अपना एकवर्णी कैनवास
यहाँ रख दे,
ओ! नीरस आकाश...

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8 JAN 2019 AT 15:57

कट गए हैं पाँव रगड़ते-रगड़ते
थक गए हैं हाथ चलते-चलते
गल गयी चमड़ी है जलते-जलते
खत्म सारी आरजू संभलते-संभलते
ऊर्जा गई दिल की धड़कते-धड़कते
हारे हवाओं से हम, अब अड़ते-अड़ते
उतीर्ण न हुए पर तुझको पढ़ते-पढ़ते
मिट्टी से हो गए हैं अब तो सड़ते-सड़ते

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24 MAR 2019 AT 1:11

नीरस जीवन में प्रेम रंग हो
उदासियों में हंसी के ढंग हो
मुश्किल भी मुश्किल न लगे
इस सफर में गर तुम संग हो

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