कृपा बनाए रखना माधव!
//अनुशीर्षक में//
🙏🪷🙏
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🌦️🌻🍃🌻🌼🍂🌹🍁🌹🍂�... read more
गिद्ध पावे गिद्दा,
चील चले चाल मतबाली।
कि जब भी तुझे देखूँ हूँ,
मन में बाजे है मेरे कव्वाली।।
🤭💗🤭
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और संभोग की आत्मीय स्तर पर सबसे सुंदर बात,
आप जीवित रहते हुए,
अपने शरीर को दूसरे को समर्पित कर देते हो,
यह जानते हुए भी कि सबके अपने- अपने स्वार्थ हैं,
तब भी आप उस व्यक्ति पर इतना विश्वास करते हो,
और बावजूद इतने लंबे वक्त तक साथ रहते हुए अपने शरीर के,
उसे किसी और के सामने उसीका कहकर पेश कर देते हो।
यही तो है सृजनात्मकता का आधार भी!
और यहाँ इक सुंदर अवसर पाते हो इस प्रकार
मृत्युलोक में जीते- जी
मोह त्यागने का— सबसे सुंदर सबक सीखने का अवसर।
🐾🍂🐾
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वाह, कि उस झुमके की ख़ुशनसीबी
जो बार- बार तुम्हारी गर्दन के उस कोने पर
चूमता जा रहा है,
क्यूँ न जलूँ मैं ऐसे में
उस निर्जीव वस्तु से फ़िर
जो क़रीब सजीव होकर भी
इतना दूर बैठा हुआ है।-
तुम जो ये पूछते हो बार- बार, पैरों में गति नहीं रही है
दरअसल, न भोगी हो ऐसी कोई क्षति नहीं रही है।
मालूम है जब सफ़र लंबा, रफ़्तार क्या कर लेगी?
बिन मतलब थकाने की अब सहमति नहीं रही है।
मोह कैसे छूटा? ये भी बताऊँगा किसी दिन बैठकर
अभी नहीं जुबान पर सरस्वती साथ रही है
हालाँकि लग सकता है, निरुत्साह और उदासी हूँ फैला रहा
पर वाक़ई आरज़ू जो थी कभी, शून्य हो रही है।।
🍃🌻🍃
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कि चलती इस हवा का गवाह हो जाने दो
जहाँ सब भरम है, तुम्हें मिरा हमराह हो जाने दो
ख्वाहिशों के पुलिंदे जहाँ बनते-बिगड़ते हैं
या ख़ुदा उन पर मुझे पूर्ण- विराम लगाने दो
छोड़ दूँ आख़िर में तुम्हारे मिलने के कयास को भी
इस तरह से सारे प्रयास विफल हो जाने दो
प्रयासों की अथाह से उकताकर, प्रयास करना न छोड़ दूँ
तब तक मुझे यूँ ही तड़पता हुआ रह जाने दो।
करना है जो, करो, फ़िक्र- ओ- फ़र्क नहीं अब
चाहें कुछ न करो और न ही अब करने दो ।।
🍀🪷🍀
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