हो रही सबकी शादियां बड़े धूम-धाम से
हमारा तो लगता स्वयंवर होंगा।
सजेंगी महफ़िल, रहेगी खूब रौनक
चांद तारों के संग पूरा अम्बर होगा।
फुलों का द्वार, हारों से स्वागत
हमारे इष्ट के साथ दिगंबर होगा।
होगी भोज और दावत, मिलेगा निमंत्रण
साथ उस पाक़ खुदा का पैग़म्बर होगा।
आयेगा करीब जल्द को साल, महिना
जनवरी, मार्च, दिसंबर हां नवंबर होगा ।
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विवाह का समय चल रहा है, निमंत्रण में भोजन की निंदा ना करे,
कई वर्षो चटनी रोटी खाता है, आपको मटर पनीर खिलाने के लिए-
आशाओं के पंख लगाकर,
हर कोई उड़ सकता है.!
संघर्षों के दुर्गम पथ पर,
मानव ही बढ़ सकता है!
गहन निराशा में आशा का,
रंग सुखद चढ़ सकता है.!
वसुधा का सुख वो पाता है,
जो संकट से लड़ सकता है!
स्वतंत्र सृजन का नेह निमंत्रण,
जो चाहे पढ़ सकता है.!
अर्थ ग्रहण जो कर पायेगा,
वो ख़ुद को गढ़ सकता है.!
सिद्धार्थ मिश्र
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सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
सुबह,सांझ,दोपहर का ......
देखो कैसे आज मिलन हो रहा है !!-
चले आओ मेरे कान्हा,
तुम्हें सहृदय निमंत्रण है...
(आगे अनुशीर्षक में पढ़ें..)-
ए-मानव ! ले देख मृत्यु का ताण्डव
तूने ही दिया निमंत्रण , तेरा अभिनन्दन ..
ये धुँआ नही , तेरा विनाश है
जी ले शौक से अभी ,बची जो दो-चार स्वांस हैं ...-
DIL❤ke Armano kaa NIMANTRAN THA
PARR
MANN ke Ahesaaso parr bhi NIYANTRAN THA-