Manisha Dubey   (मन-ईशा की कलम से...)
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Joined 23 July 2018


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Joined 23 July 2018
23 JUL AT 11:07

तुम्हारे होने से घर, घर था,
जो अब मकान बन कर रह गया है
तुमको तो मालूम होगा न,
क्यूँकि माँ तो सब जानती है ।
क्या कहें, कैसे कहें,
क्या क्या बदला तुम्हारे जाने से,
तुम्हारे अलावा सब ज़िंदा हैं,
बस ज़िंदगी खो सी गई है ।
तुम जो काजू कतली बनातीं थीं न,
वो अब भी बनती है,
तुम उसका पुख्ता नाप थीं,
तुम्हारे जाने के बाद,
उसमें मिठास है मगर
वो सोंधापन तुम ले गईं,
क्यूँकि वो तुमसे था, मिठाई का नहीं था ।
जो बेशन के लड्डू बनातीं थीं,
वो तो आज भी बनते हैं,
मगर बालू जैसे बेशन चीनी को
आपस में तुमने जो बांधकर रखा था,
अब वो बाँधना ग़ायब है,
लड्डू और ज़िंदगी बिखरी सी हो गई है,
रिश्तों में मिठास है,
सौंधापन तुम्हारे साथ चला गया,
लड्डू और ज़िन्दगी दोनों
आज की भाषा में कहूँ तो,
दोनों तुम्हारे बिना,
आउट ऑफ़ शेप हो गए हैं ।
तुमको तो सब मालूम होगा न,
क्यूँकि माँ तो सब जानती है ।

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16 JUL AT 10:52

Therapy is expensive, so the house help too..
I decided to clean the house, how smart I am,
I know, I know…
I have all the brilliant ideas
how to become healthy & wealthy too..

But….
How to work on my own idea,
I am as smart as brilliant but as Lazy too…

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24 JUN AT 18:22

सन् १९९५ का बैंक स्टेटमेंट

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12 JUN AT 5:55

क्यों खर्चते हो ख़ुद को इतना,
फिज़ूल के मसलों में?
कि ख़ुद को ही ख़ुद नहीं मिलते।
ये फिज़ूलख़र्ची अच्छी नहीं है,
तुम बेश क़ीमती हो,
ख़ुद को संभाल कर रखो,
सारे खर्च हो जाओगे तो
ख़ुद के लिए ख़ुद कहाँ रह जाओगे?
तुम हो तो सब है,
तुम हो तो ये घर है
तुम्हारा पूरा परिवार तुम्हारे
ख़ुद के होने से ही है
तुम सबके लिए हो,
मगर इन सबके साथ
कभी ख़ुद से भी मिला करो
बिना थके, बिना झुँझलाये,
बेफ़िक्री के साथ कभी
ख़ुद का हाल भी पूँछ लिया करो
ऐसे तो बड़ी सीख देते हो
दिन रात बच्चों को
कि फिज़ूलखर्ची अच्छी बात नहीं,
कभी इस बात पर ख़ुद भी अमल किया करो
तुम, तुम्हारा वक्त, सारा काम
सब रुक सकता है, तुम्हारे लिए,
बस तुमको ज़रूरत है,
खुदको संभालने की,
वो भी बिना पूरा खर्च हुए,
क्यूँकि, तुम…. बेशक़ीमती हो!!

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8 MAY AT 9:38

घर…
मुझे तलाश है उस घर की
जो न मेरा मायका हो
न मेरा ससुराल हो,
और जहाँ न मेरे पति के
नाम से मेरी पहचान हो।
नहीं ज़रूरी कि बहुत बड़ा
आलीशान महल हो,
बस दो कमरे हों,
मगर सराबोर सुकून
से भरें हो
जहाँ मर्ज़ी मेरी हो
कोई निगाहें घूरें न मुझे
जब में सोफे पर ही सो जाऊँ
कोई ताना न दे,
जब मैं चाहूँ,
जो चाहूँ, वो खाऊँ,
जहाँ मोहरी में पड़े
बर्तन मेरा इंतज़ार न करें,
बिना धुले या बेतरतीब
कपड़े मुझे न बुलाते हों,
बाथरूम के आईने के धब्बे
मुझे न घूरते हों,
चीज़ें कम से कम हो
इस घर में,
और घड़ी तो एक भी न हो,
ताकि मैं सुकून से रह सकूँ,
बस मैं और मेरा ढेर सारा वक्त…..

बस एक ऐसा घर चाहिए॥

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2 APR AT 11:54

इतवार…

ज़िंदगी मुझे तुझसे बस
एक दिन इतवार का चाहिए,
ऐसा नहीं कि,
मुझे तू प्यारी नहीं है,
बस दूर खड़े होकर
देखना भर है,
कि मेरे न होने पर
मेरे काम का इनचार्ज कौन होगा…..

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11 FEB AT 11:45

Dear Love,

You were you
& I was I, when we first met,
Then I became yours and
You have been always mine,
We grew together and shine..

As we are in the month of love,
I thought to gift you something
to express my love,
Should I give you flowers?
Then I thought,
What does those flowers mean to you,
Who gave the fragrance to my life…
Should I give you precious gems?
Then I thought,
What does those gems mean to you,
Who gave the essence to my life…

Promising you for the lifetime,
I will be with you forever,
with my ears to hear your unheard words.
I will be with you forever,
with my shoulder, in your fragile time,
I will be with you forever,
with my heart, to love you unconditionally
for “who you are”!!

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7 FEB AT 11:22

ऐ ज़िंदगी,
तू ख़ूबसूरत बहुत है,
तू गुरू की तरह
सिखाती जा रही है,
बस बात इतनी सी रह गई,
काश, गुरु की जगह पिता होती,
तो स्कूल के बस्ते से
जीवन भर के रस्ते तक,
सारा बोझ उठा लेती….

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29 JAN AT 9:57

सुता से ब्याहता तक,
ब्याहता से वृद्धा तक,
स्त्रियां सौभाग्य बरसाती,
स्वयं सौभाग्य होती हैं,
जीवन पर्यन्त तक।

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29 JAN AT 9:49

समझदारी एक पिंजरे सी है,
जब तक बेफिक्र तब तक
पूरा आसमान तुम्हारा
जहाँ सोच समझ की बात आई,
पिंजरबधता पड़ी दिखाई ।

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