"नित दिन तुझको याद करूँ ... "
सोती हैं रूह की काया मन विचरन करता हैं
इस हवा के झरोखें में भी तेरा मुखड़ा दिखता हैं
दूर तलक न कोई मंजिल ,तेरा कैसे दीदार करूँ..
आकाश निकलता चाँद देख..नित दिन तुझको याद करूँ
नित दिन तुझको याद करूँ.....🍁
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नित तेरे दर्शन करूँ, करके आँखें बन्द।
कभी यशोदा मैं बनूँ, कभी बनूँ मैं नन्द।।-
तेरी मुस्कान मुझे जिंदगी देती है
खुशियों की नित बंदगी देती है
रहूं उदास मैं कितनी भी चाहे
मेरे होंठों पे एक नई हंसी देती है।-
जैसे किसी ताल में टपकती हैं
ओस की बूँदें
तुम्हारी स्मृतियों की परछाईं
ज्यों मुझमें प्रतिक्षण
स्वप्न में भी मेरी
सूर्य-चंद्रमा जैसी
परिक्रमा करती हो तुम
तुम नित आती हो स्वप्न में
पर मैं तो सो जाता हूँ
तुम्हें देख पाता हूँ जागने के बाद-
नित नव समर्पण सा
जीवन माया दर्पण सा
अतृप्त मन सा
कर्तव्यों के तर्पण सा
क्या मात्र यही ध्येय है
मेरे अवतरण का-
नित करती हूँ नए-नए प्रयोजन तुझे रिझाने को ..........
प्रिये अब सहर्ष स्वीकार करो मेरे प्रेम-आलिंगन को ......!!-
चाहे गम आए, चाहे सुख एतवार न करो,
बाधाओं मे खुद का तर्पण न करो,
बुरे के साथ बुरा बर्ताव न करो,
काँटों हो राह में तुम चलना न छोड़ो,
मुश्किलों से तुम लड़ना न छोड़ो,
हार को अस्वीकार न करो,
जो जैसा है, उसको वैसा न रहने दो,
बदलने की भावना से मुँह न मोड़ो।।
जीवन को स्वीकार करो,
अपनी नईया खुद पार करो!!
भूल को स्वीकार करो,
नित्य नये प्रयास करो,
हर दम पर पूरा करो,
जीवन की वास्तविकता को समझो!!
जैसा भी हो जीवन खुल कर जियो,
रहो सदा खुश औरो को भी खुश रखो,
मुस्करा कर नित आगे बढ़ो,
अपनी नईया खुद पार करो,
जीवन को स्वीकार करो....!!!! ☺☺-
नित प्रति दिन हम,खुद में निखार लाएं।
अपनी बुराई दूर कर,अच्छाई अपनाएं।-
खनकती हुई पायल का शोर,,,
झूमते हुए झुमकों की शरारतें,,,,
होठों पर लिपटी हुई हसरतें,,,,
सीने में दबे हुए ज़ख्मों का ज़ोर,,,
लगता है बस यही सब ज़िन्दगी है।।-