Laxmi Gaur thapliyal  
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जन्मदिन २जून

"शब्दों के गठजोड़ को
भाव सहित अंजाम
अंतर्मन में दस्तक दूं
बस इतना अरमान✒"
Joined 26 January 2018


जन्मदिन २जून

"शब्दों के गठजोड़ को
भाव सहित अंजाम
अंतर्मन में दस्तक दूं
बस इतना अरमान✒"
Joined 26 January 2018

कई दफ़ा तुम विश्वसनीयता के
उस पायदान पर खड़े कर दिये जाते हैं
जहां से पीछे देखो तो
हमें मुँह चिढाते हमारे
सारे कर्म होते हैं,कोशिशें होती हैं
जद्दोजेहद होती है
लेकिन नहीं होता केवल
उन्हें विश्वसनीयता के धरातल पर
मानने का मन
नियत सब कुछ बदल सकती है
सब कुछ देख या कर सकती है होते हुए
अब चाहे उसमें
किसी के सच को भी झूठा साबित करना हो
या किसी के एहसानों पर मारने हों, मनों पत्थर
ताकि मिटाये जा सकें तुम्हारे
पिछले सभी किये धरे का लेखा जोखा!


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20 APR AT 12:47

ये सोचो की जो पल है बस यही है।

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20 APR AT 12:31

मैंने ये जाना है
तुम से बस तुम तक ही, मेरा फ़साना है
इन आँखों में ख्वाब तेरे ,बातों में बस बात तेरी
ख़ुशियाँ तेरे होने से , बाकि सब बहाना है।



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2 APR AT 11:09

का आलम
बेतरतीब हालात
अजीब ख्यालात
बिखरती आशायें
बस रूलायें ।

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27 MAR AT 16:59

रंग तेरी मुहब्बत का,कभी छूटे ना
एक -दूजे से हम कभी, रूठे ना,
सलामत रहे सदा, इश्क़ हमारा
बंधन ये प्यार का, कभी टूटे ना।

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27 MAR AT 15:49

दिल में बसती हैं
चलती हैं ज्यों सांसे
यूँ हर पल संग चलती हैं।

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25 MAR AT 22:52

मैं फूली नहीं समाऊंगी
श्याम के श्यामल रंग में
मैं रंग बलिहारी जाऊंगी।

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24 MAR AT 16:35

एक पल को सही
शायद पसरी इन दूरियों को भरना
उस एक पल के बस में होता।

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24 MAR AT 14:34


गहराई से
मेरी आँखों ने बूझे हैं
कुछ अनकहे लफ़्ज़
जो सीधे हृदय पटल पर
अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं
जिसकी हर पंक्ति,हर आखर
में समाहित भाव
की वेदना में छिपा है
तुम्हारा प्रेम
जो सिर्फ़ मेरे लिए शेष है।

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18 MAR AT 10:26


दिखाई देती हैं दो, तब तलक ही
जब उनके बीच के रिश्ते में
रह गया हो,”विश्वास” कुछ कम
“अहम” की हो जहां महत्ता
जहां “प्रेम” महज़ तनिक भर को रहा हो
वहां दूरियों को पाटती संभावनायें
दम तोड़ देती हैं।



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