Shalini Singh   (अल्फाज़ आशा के🍃)
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Joined 10 July 2019


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22 HOURS AGO

दौलत नहीं शोहरत नहीं
सनम प्यार में बरकत देना ।

चांदनी फिज़ा जब रूख़ को भिगोए
तब अपनी सोहबत देना।

मन की मन में ना रह जाए,
हर गिरह खोल दूं।

तुम्हारी धड़कनो को अपनी धड़कनों में मिला लूं
बस इतनी मोहलत देना ।

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25 APR AT 8:11

आओ चलो साजन एक मुलाकात करें,
मिलजुल कर बातें करें ,
इतना भी न कर सके तो चलो
कोई निशानी ही भेज दो ।

कपड़े–वपड़े, गहने–वहने,
ऐशो–आराम सारे एक तरफ़,
अधरों को विराम मिल जाए,
साजन चलो पेशानी ही भेज दो।

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19 APR AT 21:05

तुझ बिन मन को कोई भिगोए
ऐसा कोई संग नहीं,
कुदरत के रंग हज़ार,
तुझबिन कुदरत का कोई रंग नहीं।

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19 APR AT 16:32

जीवन की पाठशाला में, बड़े से बड़ा पाठ सीख गई
दुनियादारी के सफर में, हर मोड़ पर जीना सीख गई।
समय के साथ चलते चलते, अनजाने में समझी ,
हर गलती से उठकर, अधिक समझदारी सीख गई।

सपनों की उड़ान भरते, ऊँचाईयों की ओर चली,
ख़ुद को खोजते-खोजते, नयी पहचान सीख गई ।
प्यार की भावना से, दिलों को मिलाना सीख गई ,
समझौते के माध्यम से, संबंधों को बचाना सीख गई।

दुख-सुख के पलों में, बड़े परिप्रेक्ष्य सीखी ,
हर छोटे-बड़े रिश्ते में, सम्मान की महत्ता सीख गई ।
जीवन की ये सीखें हैं, मन को समझाने वाली,
दुनियादारी सीख ली, ख़ुद को समझाने वाली।

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19 APR AT 14:26

थोड़ी नजदीकियां बढ़ी कि दीवानगी ख़ाक हो गई,
गुमाॅं की आग में एक हुस्न राख हो गई।

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19 APR AT 14:23

तुझे पाने की चाहत में हर बार ख़ुद को बदला है
कांटों से भी शृंगार किया,नहीं तुम्हारा मसला है।
ख़ामोशी बरबस आंखों से झर झर बरसती रही
नज़र की नेमत मिल जाए, ख़्याल से दिल मचला है।

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17 APR AT 23:01

तुम बिन जाएं कहाॅं, दिल धड़कता है तन्हाई में,
बेबसी में आँखों से आंसू छलछलाई है।

दर्द और ग़म की राहों में, खोए हैं हम,
तुम्हारी यादों की गहराइयों में, क़दम डगमगाई है।

तुम बिन जाएं कहाॅं, दिल की धड़कन मुझसे कहती है,
तुम्हारी ही ख़ुशबू की महक, फिज़ा ने महकाई है।

सुनो, तुम जहाॅं भी हो, हमेशा हमारी यादों में हो,
तुम्हारी तलाश में जुगनुओं को लगवाई है।

तुम बिन जाए कहाॅं, इस तन्हाई की परछाइयों में,
तुम्हारे साथ की यादों में, साॅंसों को लहलहाई है।

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17 APR AT 22:29

थोड़ी नज़ाकत से देखो तो मेरी ओर ,
बेशक कहोगे दिल पर अब इख़्तियार नहीं।

कलाइयां हैं बेकरार, चूड़ियों की आस है,
इस कली कचनार को, किसी और पर इतबार नहीं।

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17 APR AT 17:36

थोड़ी नज़ाकत से देखो तो मेरी ओर ,
बेशक कहोगे दिल पर अब इख़्तियार नहीं।

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16 APR AT 22:10

बेक़रारी ही सही फासला ही अच्छा लगता मुझको
जिस्मानी से रूहानी इश्क़ ही सच्चा लगता मुझको
गली गली महताब रखने वालो से डर लगता मुझको
हुस्न के बाज़ार में परवाने का दिल कच्चा लगता मुझको ।

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