Shalini Singh   (अल्फाज़ आशा के🍃)
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Joined 10 July 2019


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Joined 10 July 2019
12 JAN AT 23:09

तेरी हंसी से जग में उजाला रहे,
हर एक ख़्वाब तेरा निराला रहे।

सजी रहे तेरे शब्दों की गहराई,
हर रचना का तुझपे उजाला रहे।

मिश्री-सी तेरी प्यारी-सी आवाज़,
हर दिल पे तेरा ही हवाला रहे।

धैर्य से जो तू सुनती मेरी बातें,
गले में तेरे याराना का माला रहे।

तेरा जीवन बने गीतों का झरना,
रोशन रहे जहां, अंधेरों पर ताला रहे।

"जानां" की चमक यूँही रहे बरकरार ,
संग तेरे स्वाभिमान का ज्वाला रहे।

जन्मदिन पर दुआ ये "आशा" करे,
तेरा हर दिन गुलों से निराला रहे।

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29 NOV 2024 AT 18:32

कविता ना गीत ना ग़ज़ल लिखूॅं,
आ, आज मैं आपको सबल लिखूॅं।

आप हो तो जैसे हर राह है आसान,
अपने मस्तमौलेपन का बल लिखूॅं।

हिंदी लेखन शैली पर मैं हुई मोहित,
गुरु मान, आपको अमल लिखूॅं।

शब्दों की दुनिया में आपका मुकाम,
हर दिल को छू ले, वो कमल लिखूॅं।

जितनी सरल हैं, उतनी ही गहन,
आपके जज़्बातों को न छल लिखूॅं।

सूरज-सा तेज़, चाँद-सी शीतलता,
ऋतु, आपके जीवन को अटल लिखूॅं।

जन्मदिन का ये शुभ दिन है ख़ास,
सपनों के सांचे को सफल लिखूॅं।

हर ऋतु खुशियाँ बरसें, खुशहाली सजे,
आ, आज मैं जीवन का संबल लिखूॅं।

आप यूॅं ही लिखें, यूॅं ही मुस्काएँ,
‘छुटकी’ की यही दुआ, यही पल लिखूॅं।

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28 SEP 2024 AT 7:19

तुम्हारी अवहेलनाओं के
चुभते तीर में भी
तुम्हारी फ़िक्र करना
हृदय में पर्याप्त
प्रेम अंबार वश ही तो है,
जो चोटों को सहकर भी
तुम्हारे होने की आस में
जीना सीखता है।

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14 SEP 2024 AT 22:12

हिंदी की मिट्टी में रची-बसी थी जो शान,
अब खो रही है अपनी जड़ों का सम्मान।
भाषाओं की भीड़ में कहीं गुम न हो जाए,
आओ, हम फिर से करें हिंदी का उत्थान।

समय की धारा में बदलती रीत-रिवाज,
हिंदी पर बढ़ता है अब विस्मृति का राज।
विकास की दिशा में, इसे सहेजना है हमें,
तभी बचेगा हिंदी का विरासत एवं ताज।

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11 SEP 2024 AT 12:40

Shalini

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8 SEP 2024 AT 17:12

सूर्य सा तेज़ चाहा था तुमने
मेरे मुखमंडल पर, इसलिए
गुलाब की नर्मी नहीं चाही तुमने,
सूर्यमुखी की भव्यता ही सही थी तुम्हारे लिए।
रश्मियों से सजाया है तुमने मेरा आंगन,
कांटों की बात कहाँ, जब प्रकाश बनकर आए तुम।

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8 SEP 2024 AT 17:09

तुम जो चाहते थे, वो रंग भर नहीं पाए,
तेरी चाहतों के साये से ख़ुद को तर नहीं पाए।
हर ख़्वाब में ढूंढा था हमने तेरा ही अक्स,
पर उन ख़्वाबों को ख़्वाबगाह से हर नहीं पाए।

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8 SEP 2024 AT 17:02

सपनों के बाजार में बिका हर कोई,
चाहतों के सिलसिले में खफ़ा हर कोई।
दिलों की दरारों में बसी हैं उम्मीदें,
फिर भी न जाने क्यों अकेला है हर कोई।

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7 SEP 2024 AT 18:46

तस्वीर में साथ नहीं पर
ज़िन्दगी में हो हर घड़ी,

तुमसे ही तो है
मेरे जीवन की पूरी कड़ी।

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3 SEP 2024 AT 21:14

प्यार वो वादा है, जो कभी टूट नहीं सकता,
राहें भले बदलें, पर साथ छूट नहीं सकता।

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