एक लड़की का मटका, ऊंचे पेड़ पे अटका...😉
जिसका पानी पीने के लिए मैं दूर दूर तक भटका...🤷🏻♂️
बताओ क्या?🤭-
पता नहीं 😒🤦किसनें🙄मेरें सर की कसम खायीं हैं,
😂😂धीरे-धीरे मेरें बाल झड़ते ही जा रहें हैं!!😒😒-
एगो नारियल
समया माई
घर द्वार रहे खुशहाल से....
एगो नारियल
बुढ़िया माई
भरापूरा राखो धनधान्य से....
एगो नारियल
अलोपी माई
भाई के बड़भाग्य से..
एगो नारियल
गंगा माई
सेनूर सजा रहे सुहाग से...
दूगो नारियल
लख्खी माई
बड़ अफसर सौभाग्य से... ।
कविता
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कुछ कंडे, कुछ नारियल, इक़ तुलसी चिता पर सजाओ
कोई आख़री साँस अटकी न रहे, इस तरह उसे जलाओ
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एक सूखे नारियल को क्या पता आखिर उसे ओर कितनी बार फेंका जाएगा,
पर जब प्यास का कुंआ खत्म हो जाए, तो एक जान वो बुढ़ा नारियल ही बचाएगा..-
हम तो अनजाने शहर में नारियल पानी पी रहे थे
वो सामने से गुजरी ओर नजरें मिली
हमें क्या पता वो मुड़कर हमें देखती जा रही थी-
इश्क़ गर हो तो कोई ढंग का मकाँ भी देखो।
नारियल की खोपरों में सर नहीं रक्खे जाते।
चोट खाना हो तो तालाब कई हैं अपने।
ज़ख्म के वास्ते मगर नहीं रक्खे जाते।
जिनके दर पर न मिली हो फ़कीरों को मदद।
उनके दरवाज़ों पे फिर सर नहीं रक्खे जाते।
तुम तो 'मनमौजी' जी लोगे किसी की भी तरह।
उसकी सोचों जिसे घर पर नहीं रक्खे जाते।-
*🎄🌹꧁! !जीवन का सत्य!!꧂🌹🎄*
*मंदिर में नारियल तोड़ना ये बताता है कि सबसे पहले हम नारियल की जटा हटाते है...ये जटा है हमारी अप्रकृत इच्छाएं, जिन्हें सबसे पहले हटाना है। फिर उसका कठोर हिस्सा तोड़ते है.....ये है हमारा अहंकार, जिसे हटाना बहुत जरुरी है।*
*फिर निकलता है पानी,,,ये हमारे अंदर के नकारात्मक विचार है जिनके निकल जाने के बाद फिर आती है प्योर सफ़ेद गिरी.. जो आत्मा का प्रतीक है...। और आत्मा बिना इच्छा,,अहंकार,,और नकारात्मक सोच हटाये परमात्मा से नहीं मिल सकते*
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इंसान एक नारियल की तरह है, अंदर से कौन कैसा है किसी को नहीं पता।
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