तुम्हारा नाम ..
बहुत अजीब है
ये ज़रा भी मेल नहीं खाता
तुम्हारी शख़्सियत से
तुम्हारा नाम ..
बहुत वाचाल .. बेहद शोखियाँ लिए
उन्मुक्त और हलचल से भरा है
और तुम ..
कोई उदास .. ख़ामोश सी तस्वीर जैसी
..
ज़िन्दगी
नाम से नहीं चलती
ना ही ज़िन्दगी का
कोई वास्ता होता है नाम से
और फिर नाम में क्या रखा है
याद किये जाने के लिए
ज़िन्दगी जीने के तरीक़े ही काफ़ी होते है
बाक़ी नाम से तो एक ढूंढों हज़ार मिलेंगे-
बता चुकी हूँ जो बात
फिर न बताऊँगी,
नयी उम्मीद, नयी है आरजू
चिराग भी नया ही जलाऊंगी,
जिसका नाम है मेरी पहचान
उससे आज जमाने को मिलाऊंगी,
अब मुझे किसी से डर नहीं
गर आँधियाँ भी आयीं तो,
वो मुझे
बुझा न पाएगीं,
-
खुदको खुद से खफ़ा लिख रही हूँ
हाँ बेवफ़ा मैं वफ़ा तेरे नाम लिख रही हूँ-
कभी अरमान लिखता हूँ कभी पैगाम लिखता हूँ !!
मै अपने दिल की धड़कन को तुम्हारे नाम लिखता हूँ !!
जहाँ भी हो मिरी हमदम वहाँ से लौट आओ तुम !
तुम्हारे ही ख़यालों को सुबह-औ-शाम लिखता हूँ !!
न जाओ छोड़कर मुझको तुम्हारी याद आयेगी !
तुम्हारी याद में खुद पर नये इल्ज़ाम लिखता हूँ !!
कलम की नोंक के नीचे तिरा जो नाम आ जाये !
मुझे तुम माफ कर देना यही अंजाम लिखता हूँ !!
नज़र भर देख लूं तुमको नशे में डूब जाऊंगा !
यही मैं सोचकर तुमको नशीला जाम लिखता हूँ !!
नही कृष्णा खबर कोई तिरे बदनाम होने की !
करे बदनाम जो तुमको उसे बदनाम लिखता हूँ !!-
अग्नि, नभ, भू, जल और वायु, कितना कुछ था लिखने को, पर
मेरे पंचतत्वों में क्या था कि, बस मैंने तेरा नाम लिखा।-
ना जाने ...मंज़िल कहाँ होगी ?
जिसे ढूंढता हूँ दर-ब-दर ..🚶
ना जाने दिल...वो कहाँ होगी?
-
इन हाथों में मेहन्दी लगायें बैठें हो,
सच-सच बताओं किस-किसका नाम छुपायें बैठें हो..!-
एक ख़ूबसूरत सी ग़ज़ल लिखी है
तेरे नाम के साथ,
मेरा नाम लिखी है।-