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कोसळुन त्याचे घर
मातीचा नागोबा करा,
प्रार्थना तुमच्या रक्षणाची
मिटवून त्याचा निवारा।
बिनगुन्ह्याची कैद जबरदस्ती
छळुन आज पुजायला,
काढून त्याचे विष,करुण निशस्त्र
येईल कसा तो रक्षणाला।।
आहे जर देव
का घाबरता,मारता त्याला,
जपावे त्याचे अस्तित्व
दुर वनात सोडावे त्या जिवाला।।
दाखवावा नैवेद्य,दूध-ल्हाया,
आशीर्वाद दुरुनच घ्यावा।
आज श्रावनशुक्ल पंचमीस
हा नवा आदर्श घडवावा।।-
न जाने ये नाग सी फितरत तुम्हारे अंदर क्यो आई।
रहते हो हमसे मिलकर, पीछे कर देते हो बुराई।
🐍नाग-पंचमी की तुमको बधाई।।🐍
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🌺 गुड़ियां 🌺
मानस पटल पर मेरे अनंतानंत स्मृतियां हैं
घर के त्योहारों की मीठी सी झंकृतियां हैं।
सावन में लहराती हरियाली संग खुशियां मेरी
उस पर सहेलियों की गूंजती अठखेलियां हैं।
उत्साह का विस्तार करने फिर एक त्योहार आता
नाग पंचमी या गुड़ियां का वो शुभ दिन था आता।
रंग बिरंगी गुड़ियां दादी नानी रज रज बनाती
हरी चूड़ी हरी बिंदी मेहंदी हाथों में रच जाती।
सबकी तरह तरह की गुड़ियां देखकर मन था खिलता
मेरी अच्छी मेरी अच्छी कहकर सबका दिन निकलता।
साथ जाते थे सभी जन मोहल्ले एक परिवार बनकर
नदी के किनारे जहां गुड़ियां कूट ते बुराई कहकर।
ढोल बजते, दान होता अच्छाई की फिर जीत होती
खुशी खुशी थे घर लौट ते खेलते खाते मौज होती।
नीम में बहार आती झूले तरह तरह घल जाते
झूल कर दुख़ भूलकर बच्चे बड़े खुशियां मनाते।
याद कर वो सुखद क्षण बस अब हैं चुप रह जाते
शहर के झूठे दिखावों में सच्चे रंग फीके पड़ जाते।
आज वो खुशियां कहां गुड़ियां कहां वो घर कहां
संस्कृति को अपनी पश्चात का, आतंक है सहना पड़ा।
छोटे छोटे ऐसे वो मौके जोड़ते जो थे दिलों को
प्यार की खुशबू फैला उलझनों को समेटते जो।
अब तो बस स्मृतियां है गुम होती गुड़ियां हैं
देखना है और आगे अब कितना क्या बचना है।-
टिकी मेरे फन पर दुनिया
मै वो ही सारंग हूँ
काल के भी गले मे जो रहे
हाँ मै वही भुजंग हूँ।
नागपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏-
अब इन हक़ीक़त के साँपों में दम कहा है,
डसने का काम कुछ जहरीले लोग कर रहे है,
और आप तो खामखां इन साँपो से डरते है,
लोग साँपो से नहीं, जहरीले लोगो से मर रहे है।-
पंचमी आज इतिहासाची,
कृष्णाने केलेल्या धैर्याची।
पंचमी आज श्रावण शुक्लाची,
नागिनीने दिलेल्या आशीर्वादाची।
पंचमी आज सत्येश्वरीच्या आठवणींची,
भावासाठी केलेल्या त्यागाची।
पंचमी आज श्रावण शुद्धाची,
सर्पयज्ञ थांबण्यासाठी केलेल्या तपाची।
पंचमी आज नागदेवताच्या वराची,
प्रार्थना शेता-मळ्यांचे रक्षण करण्याची।-
लिपट रहें हैं विषधर जिसमें उस चंदन का मौन हूं मै,
ख़ुद में खुद को खोज रहा हूं अब मत पूछो कौन हूं मै।-