जब साथ लेकर के कुछ जाना ही नहीं फिर यूं बेवजह कुछ दिखाना भी नही अब मैं जाऊं तो आखिर किधर जाऊं सिवा उसके मेरा कोई ठिकाना भी नही वो जो सबकी आहट की खबर रखता अब इससे ज्यादा उसे बताना भी नही फैसला जो भी किया वो मंजूर है मुझे शर्त है कि अब ख्याल में आना भी नही जो किरदार बस एक पानी से धूल गए ऐसे लोग अब जीवन में लाना भी नही