जब साथ लेकर के कुछ जाना ही नहीं
फिर यूं बेवजह कुछ दिखाना भी नही
अब मैं जाऊं तो आखिर किधर जाऊं
सिवा उसके मेरा कोई ठिकाना भी नही
वो जो सबकी आहट की खबर रखता
अब इससे ज्यादा उसे बताना भी नही
फैसला जो भी किया वो मंजूर है मुझे
शर्त है कि अब ख्याल में आना भी नही
जो किरदार बस एक पानी से धूल गए
ऐसे लोग अब जीवन में लाना भी नही-
जब निशा घिरने लगी देखकर दिनकर को जाते,
आस जब टूटी कृषक की तब दिखे हैं मेघ आते-
नित नई समस्याएं आएं,लेकिन फिर भी मुस्काती है।
स्वच्छ नीर सी बहती है वह, मंद समीर बहाती है।
आ जाए यदि विपदा हम पर वह पहले ही घबराती है।
देकर सबको मृदु बसंत खुद पतझड़ सी हो जाती है।-
इस जगत के नेह में कोई निशानी रहे
दूर रहकर राधिका अब ना बेगानी रहे
हो गए हो द्वारकाधीश मित्र भी हैं नए
इक सुदामा की मगर याद कहानी रहे
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इक उम्र होती थी जो नशे में आपके गुजरी
अब दिल ही नहीं करता पान सुपारी लाने के लिए-
ज़िन्दगी इस मुकाम पर ला देगी
ईमान के होते हुए मुझे दगा देगी
अब कुछ बचा ही नहीं बताने को
मौत बस श्मशान में दिखाई देगी
आवाज़ आयी और ये हाज़िर हुए
मोहब्बत मां की कब दिखाई देगी
अभी यूं होश मत खोना दौलत में
अभी हर चीज छोटी दिखाई देगी
कुछ लेके न जा पाओगे अभिनव
ज़िन्दगी जब भी हमें विदाई देगी-
तजुर्बा आज तक मुझे किसी का भाया ही नहीं,
जो सिखाया वक्त ने किसी ने सिखाया ही नहीं।-
हम बहुत अजीब थे।
मिलन तो हुआ नहीं,
ये अपने नसीब थे।
अर्थ तो था नहीं प्रेम
ही दिया तुझे,
प्रेम से नहीं किन्तु
अर्थ से गरीब थे।
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दो चार मीठे अल्फ़ाज़ बोल देने से अपने हो जाते हैं,
इन बच्चों में फरेब का तिनका नहीं होता-